गया में लोगों ने पितरों के साथ स्वयं की मुक्ति के लिए किया कर्मकांड

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गया में पितृ पक्ष के दौरान श्रद्धालुओं ने 17 दिवसीय त्रिपाक्षिक श्राद्ध के 12वें दिन कर्मकांड किए. 17 सितंबर से शुरू हुए इस आयोजन में हजारों श्रद्धालुओं ने विष्णुपद मंदिर के पास करसिल्ली पहाड़ पर पिंडदान और श्राद्ध किया. श्रद्धालुओं ने अपने कुल पंडित के निर्देशन में मुंड पृष्ठा, धौत पद और आदि गदाधर वेदी स्थलों पर पिंडदान किया. इसके बाद श्रद्धालुओं ने मुंड पृष्ठा देवी का दर्शन और पूजन किया ताकि पितरों के साथ अपनी भी मुक्ति हो सके.

आचार्य मदन मोहन के अनुसार करीब 70 हजार श्रद्धालुओं ने इस दिन श्राद्ध कर्म किया. श्री विष्णुपद मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष शंभू लाल विट्ठल ने बताया कि प्राचीन काल से इस समय पर पिंडदान का विशेष महत्व है. श्रद्धालुओं का मानना है कि श्राद्ध और पिंडदान करने से उन्हें और उनके पितरों को जन्म-मरण से मुक्ति मिलती है. इसके बाद, श्रद्धालु गदाधर वेदी पहुंचकर पंडित के मार्गदर्शन में और पिंडदान करते हैं. साथ ही कई श्रद्धालुओं ने इन वेदी स्थलों पर चांदी का दान भी किया. करसिल्ली पर्वत पर एक शिला पर भगवान विष्णु, ब्रह्मा और शंकर के स्वरूप अंकित हैं. पिंडदान के बाद श्रद्धालु भस्म कूट पर्वत पर जाकर पुंडरीकाक्ष रूप में विराजमान विष्णु मंदिर में पूजन करते हैं.

इसके अलावा आज, 29 सितंबर को भीम गया, गो प्रचार और गदालोल वेदी पर पिंडदान और सोने का दान किया जाएगा. 30 सितंबर को विष्णु भगवान का पंचामृत स्नान, पूजन और दूध तर्पण होगा. इसे पितृ दीपावली कहा जाता है. 1 अक्टूबर को वैतरणी श्राद्ध, तर्पण और गोदान का आयोजन होगा. 2 अक्टूबर को अक्षयवट श्राद्ध (खीर का पिंड), शैय्या दान, सुफल और पितृ विसर्जन होगा. अंत में 3 अक्टूबर को गायत्री घाट पर दही चावल का पिंड, आचार्य की दक्षिणा और पितृ विदाई का विधान किया जाएगा.

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