केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा है कि बिहार के विकास में बिजली बाधक नहीं है। बिहार की औसतन दैनिक खपत सात हजार मेगावाट है। बाढ़ एनटीपीसी से बिहार को 71 सौ मेगावाट बिजली दी जा रही है। इसके बावजूद कटिहार में बिजली को लेकर गोली चल रही है। भरपूर उपलब्धता के बावजूद अगर बिहार में बिजली की लोडशेडिंग हो रही है तो राज्य सरकार को इसका वाजिब कारण बताना चाहिए। अगर कोई समस्या है तो वह भी बताएं, केंद्र उसका निदान करेगा।
शुक्रवार को बाढ़ एनटीपीसी की चौथी (स्टेज एक की दूसरी) इकाई का लोकार्पण करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश में बिजली की कोई कमी नहीं है। देश में अधिकतम बिजली की मांग दो लाख 34 हजार मेगावाट की है जबकि उत्पादन क्षमता चार लाख 21 हजार मेगावाट है। फिर भी बिहार सहित देश के तीन राज्य हैं जहां बिजली की लोडशेडिंग हो रही है। राज्यों से पूछा जा रहा है कि उपलब्धता के बावजूद बिजली की लोडशेडिंग क्यों हो रही है।
उन्होंने कहा कि अनायास या अचानक से बिजली आपूर्ति सेवा बंद नहीं की जा सकती। देश में यह कानून बना हुआ है कि उपभोक्ता चाहें तो वे उपभोक्ता जन शिकायत निवारण कोषांग (सीजीआरएफ) में इसकी शिकायत कर बिजली कंपनी से जुर्माना प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के नौ साल के कार्यकाल में एक लाख 90 हजार मेगावाट उत्पादन क्षमता में वृद्धि हुई है। एक करोड़ 12 लाख ट्रांसफॉर्मर लगे। दो लाख करोड़ वितरण व्यवस्था पर खर्च हो रहा है।
इसमें से बिहार को 18-20 हजार करोड़ दिए गए। कार्यक्रम में बिहार के ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र यादव को भी शामिल होना था पर स्वास्थ्य कारणों से नहीं आए। स्वागत भाषण में एनटीपीसी के सीएमडी गुरदीप सिंह ने दिया। प्रवक्ता विश्वनाथ चंदन ने कहा कि बाढ़ बिजली घर पर्यावरण-अनुकूल सुपरक्रिटिकल प्रौद्योगिकी-आधारित इकाई है। विधायक ज्ञानेन्द्र ज्ञानू ने केंद्र के कार्यों को गिनाया। पावरग्रिड के अध्यक्ष के. श्रीकांत, एनटीपीसी के निदेशक (एचआर), दिलीप पटेल, निदेशक (परियोजनाएं), उज्ज्वल कांति भट्टाचार्य आदि मौजूद थे।