नए साल पर भारतीय स्पेस एजेंसी (ISRO) ने देशवासियों को बड़ा सरप्राइज दिया। सोमवार को साल के पहले ही दिन इसरो ने एक्स-रे पोलरिमीटर (XPoSat) सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इस सैटेलाइट के लॉन्च करने के बाद भारत अमेरिका के बाद एक इकलौता ऐसा देश बन गया, जिसने ब्लैक होल की स्टडी करने के लिए डेडीकेटेड सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजा है। ये सैटेलाइट ब्रह्मांड को बेहतर तरीके समझने में मदद करेगा।
PSLV रॉकेट की मदद से लॉन्च किया सैटेलाइट
सोमवार सुबह 9.10 बजे भारत का सबसे भरोसेमंद माने वाले PSLV रॉकेट अपनी पीठ पर इस सैटेलाइट को बांधकर अंतरिक्ष की ऊंचाई में उड़ गया। इस रॉकेट की ये 60वीं उड़ान थी। PSLV रॉकेट ने XPoSat सैटेलाइट को पृथ्वी की 650 किलोमीटर की ऑर्बिट में स्थापित किया। अपनी तय ऑर्बिट में पहुंचने के बाद PSLV-C58 का अंतिम चरण एक कक्षीय प्रायोगिक मॉड्यूल (POEM) में बदल गया। इसका इस्तेमाल अगले महीने 10 पेलोड की टेस्टिंग के लिए किया जाएगा।
इसरो ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सैटेलाइट को लॉन्च किया। लॉन्चिंग के करीब 22 मिनट बाद PSLV रॉकेट ने XPoSat सैटेलाइट को ऑर्बिट में स्थापित किया। सैटेलाइट लॉन्चिंग की प्रक्रिया दो चरणों में पूरी हुई। लॉन्चिंग के दौरान इंजनों को निकाला नहीं गया ताकि सैटेलाइट को 6 डिग्री के झुकाव के साथ सटीक रूप से तैनात किया जा सके।
ब्लैक होल की स्टडी करेगा सैटेलाइट
XPoSat सैटेलाइट का प्राथमिक उद्देश्य ब्लैक होल, न्यूट्रॉन सितारों और सुपरनोवा जैसे खगोलिय पिंडों द्वारा उत्सर्जित एक्स-रे की स्टडी करना है। इसमें दो पेलोड हैं: पहला रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा डेवलेप पोलिक्स एक्स-रे में पोलारिमीटर इंस्ट्रूमेंट (POLIX) और दूसरा यूआरएससी के अंतरिक्ष खगोल विज्ञान समूह द्वारा विकसित एक्सस्पेक्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी और टाइमिंग (XSPECT)।
पीएम मोदी ने की इसरो की तारीफ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो की तारीफ करते हुए कहा, ‘हमारे वैज्ञानिकों की बदौलत 2024 की शानदार शुरुआत! यह लॉन्चिंग अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए एक शानदार खबर है और इस क्षेत्र में भारत की शक्ति को बढ़ाएगा। भारत को अभूतपूर्व ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए इसरो के हमारे वैज्ञानिकों और पूरे अंतरिक्ष बिरादरी को शुभकामनाएं।’
नए साल पर इसरो का तोहफा
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने अपनी सैटेलाइट लॉन्चिंग को ‘नए साल का तोहफा’ बताया। उन्होंने XPoSat सैटेलाइट की क्षमताओं और इसरो के वैज्ञानिक उद्देश्यों को आगो बढ़ाने में इसके महत्व पर जोर दिया। एस सोमनाथ ने एस्ट्रोसैट और आदित्य-एल1 जैसे अन्य अंतरिक्ष मिशनों के साथ XPoSat के महत्व को बताया।