पश्चिम एशिया में संघर्ष के चलते हिंद महासागर और लाल सागर में लगातार हो रहे वाणिज्यिक जहाजों पर हमले ने समुद्री सुरक्षा को तहस-नहस कर दिया है। इससे व्यापार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। लिहाजा भारत के एक शीर्ष राजनयिक ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्यों को बताया कि पश्चिम एशिया में इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष से हिंद महासागर में समुद्री वाणिज्यिक यातायात सुरक्षा प्रभावित हो रही है, जिसमें भारत से जुड़े जहाजों पर हुए कुछ हमले भी शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि आर. रवींद्र ने यूएनएससी में खुली चर्चा के दौरान अपनी टिप्पणी में कहा, ‘‘(पश्चिम एशिया में) जारी संघर्ष से हिंद महासागर में समुद्री वाणिज्यिक यातायात की सुरक्षा पर भी असर पड़ रहा है जिसमें भारत से जुड़े जहाजों पर कुछ हमले भी शामिल हैं।’’ रवींद्र ने कहा, ‘‘यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए बहुत चिंता का विषय है और इसका भारत की ऊर्जा और आर्थिक हितों पर सीधा असर पड़ता है। यह भयावह स्थिति किसी भी पक्ष को लाभ नहीं पहुंचाएगी और इसे स्पष्ट रूप से समझा जाना चाहिए।’’ रवींद्र ने कहा कि इस संघर्ष की शुरुआत से ही भारत ने जो संदेश दिया है वह स्पष्ट और सुसंगत है कि मानवीय सहायता की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी है कि संघर्ष बढ़े नहीं।
भारत ने फिलिस्तीन को अब तक दी 50 लाख अमेरिकी डॉलर की मानवीय मदद
उन्होंने कहा कि मानवीय स्थिति पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है और भारत इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों का स्वागत करता है। उन्होंने कहा कि भारत ने गाजा में फलस्तीनी लोगों को राहत सामग्री की खेप पहुंचाई है। हमने फलस्तीन शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) को दिसंबर के अंत में 25 लाख अमेरिकी डॉलर सहित 50 लाख अमेरिकी डॉलर की सहायता भी प्रदान की है जो एजेंसी के मुख्य कार्यक्रमों और फलस्तीनी शरणार्थियों को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, राहत और सामाजिक सेवाओं में सहयोग करने के मद में है।
रवींद्र ने कहा, ‘‘भारत का दृढ़ विश्वास है कि केवल द्वि-राष्ट्र समाधान ही अंतिम विकल्प है और यही स्थायी शांति प्रदान करेगा जिसकी इजराइल और फलस्तीन के लोग इच्छा रखते हैं और इसके हकदार हैं। इसके लिए हम सभी पक्षों से तनाव कम करने, हिंसा से दूर रहने, उत्तेजक और तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाइयों से बचने और सीधी शांति वार्ता को जल्द से जल्द फिर से शुरू करने के लिए स्थितियां बनाने की दिशा में काम करने का आग्रह करते हैं।