भारत ने समुद्री जैव विविधता की रक्षा के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को यहां औपचारिक रूप से ‘बायोडायवर्सिटी बियॉन्ड नेशनल ज्यूरिस्डिक्शन एग्रीमेंट’ (बीबीएनजे) यानि ‘राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे जैव विविधता’ समझौते पर हस्ताक्षर किए।
उन्होंने एक्स पर कहा, “भारत बीबीएनजे समझौते में शामिल होने पर गर्व महसूस करता है, यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है कि हमारे महासागर स्वस्थ और लचीले बने रहें”।
समुद्री कानून संधि के तहत समझौता यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि समुद्री जीवन को उच्च समुद्र पर एक स्थायी तरीके से संरक्षित और उपयोग किया जाए, जो राष्ट्रों के क्षेत्रीय जल और अनन्य आर्थिक क्षेत्र से परे है जो तट से 200 समुद्री मील या 370 किलोमीटर तक फैल सकता है।
जिस क्षेत्र को यह समझौता कवर करता है वह सभी महासागरों का लगभग दो-तिहाई है।
इस समझौते को बनाने में करीब 20 साल लगे, इससे पहले कि इसे पिछले साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनाया गया और यह विनाशकारी मछली पकड़ने और प्रदूषण पर प्रतिबंध लगाता है।
समझौते के तहत, देश उच्च समुद्र पर समुद्री संसाधनों पर संप्रभु अधिकार का दावा नहीं कर सकते हैं और यह उन संसाधनों से लाभ का न्यायसंगत बंटवारा सुनिश्चित करता है। जुलाई में कैबिनेट ने समझौते में भारत की भागीदारी को मंजूरी दी।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने उस समय कहा था, “भारत पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के वैश्विक उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध और सक्रिय है”।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने इसे आशावादी समझौता बताया था। कहा था, “बीबीएनजे समझौता हमें अपने ईईजेड (विशेष आर्थिक क्षेत्र) से परे क्षेत्रों में अपनी रणनीतिक उपस्थिति बढ़ाने की अनुमति देता है और हमारे समुद्री संरक्षण प्रयासों को और मजबूत करता है।