नई दिल्ली। भारत और चीन की सेनाओं ने एलएसी पर टकराव वाले दो बिंदुओं पर डेप्सांग और डेमचौक से पीछे हटना शुरू कर दिया है। कजान में बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति के बीच सकारात्मक माहौल में हुई द्विपक्षीय वार्ता के बाद एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर अमन की पहल में तेजी आ गई।
भारतीय सेना से जुड़े वरिष्ठ सूत्रों ने कहा कि दोनों देशों दारा एलएसी को लेकर समझौते पर पहुंचने के ऐलान के बाद यह प्रक्रिया शुरू हो गई। छोटे समूहों के रूप में दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट रही हैं। सूत्रों ने कहा कि इस प्रक्रिया के पूरा होने में करीब दो सप्ताह का समय लग सकता है।
गुरुवार को डेप्सांग और डेमचौक में दोनों देशों ने अपने कब्जे वाले इलाकों से कुछ अस्थाई ढांचों को हटा दिया। सूत्रों ने कहा कि यह समझौते का हिस्सा है। बता दें कि जिन सात बिंदुओं पर टकराव था उनमें से पांच बिंदुओं पर सेनाएं पहले ही पीछे हट चुकी हैं। डेप्सांग और डेमचौक पर ही सेनाएं मौजूद थीं।
लद्दाख में भी शुरू होगी गश्त सेना के सूत्रों के अनुसार अगले कुछ दिनों में पूर्वी लद्दाख में भी गश्त शुरू होने की संभावना है। गौरतलब है कि वर्ष 2020 में गलवान में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक टकराव के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तल्खी आ गई थी।
पूर्वी लद्दाख से भी सैनिक घटाए जाएंगे
अभी दोनों देशों की 50-50 हजार फौज पूर्वी लद्दाख में तैनात है। सेना के सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार को सेना की तरफ से डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया को लेकर एक ब्योरा जारी किया जा सकता है। सेनाओं के पीछे हटने के बाद वहां सेना में कटौती करने की प्रक्रिया शुरू होगी।
21 अक्तूबर को हुई थी सहमति की घोषणा
भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर फिर से गश्त शुरू करने पर सहमति की घोषणा 21 अक्तूबर को हुई थी। दोनों देश के अधिकारी पिछले कई हफ्तों से जारी वार्ता के बाद इस समझौते पर पहुंचे। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इस सहमति का ऐलान किया था।
मोदी-जिनपिंग बैठक महत्वपूर्ण रही चीन
बीजिंग। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने गुरुवार को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बुधवार को हुई बैठक अत्यधिक महत्व रखती है क्योंकि वे द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए महत्वपूर्ण आम सहमति पर पहुंचे हैं।