‘सरपंच साहब’ हरमनप्रीत की अगुवाई में भारतीय हॉकी टीम का दबदबा कायम है। बेशक टीम पेरिस में मेडल का रंग बदलने से चूक गई, लेकिन लगातार दो ओलंपिक में कांस्य जीतकर इतिहास रचा था। इस फॉर्म को कायम रखते हुए टीम ने अब एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी पर रिकॉर्ड पांचवीं बार कब्जा जमाया है।
ओलंपिक के मंच पर भारतीय हॉकी टीम की हमेशा धाक रही है। टोक्यो से पहले कहीं न कहीं टीम बड़े मंचो पर ये विरासत खो चुकी थी लेकिन एक बार फिर भारतीय हॉकी टीम का दौर लौट चुका है। हालांकि, घरेलू और एशियाई स्तर के टूर्नामेंट में भारत लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा था।
2020 टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने 41 साल के सूखे को खत्म करते हुए कांस्य पदक अपने नाम किया था। ये जीत भारतीय हॉकी के इतिहास के लिए सबसे खास जीत थी। भारतीय टीम ने मनप्रीत सिंह की कप्तानी में ये कारनामा किया था। इसके बाद टीम ने लगातार कई इवेंट में अपना दबदबा बनाया। भारत ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में पुरुष हॉकी में रजत पदक जीता था।
पेरिस ओलंपिक में जो कमी टीम में दिखी, वो एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में काफी हद तक दूर हो चुकी थी। दरअसल, टीम फील्ड गोल करने में नाकाम रही थी और ज्यादातर गोल पेनल्टी कॉर्नर के जरिए आए। जबकि इस टूर्नामेंट में भारत ने कुल 26 गोल किए, जिसमें से 18 फील्ड और 8 पेनल्टी कॉर्नर से आए।
पिछले 3-4 साल में भारतीय हॉकी टीम ने कड़ी मेहनत करते हुए विरोधी टीमों को बराबरी की टक्कर दी है। हालांकि, कई मौकों पर भाग्य का साथ टीम को नहीं मिला लेकिन कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि बीते कुछ साल जैसा प्रदर्शन टीम इंडिया का रहा है, उस देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि जल्द एक बार फिर भारतीय हॉकी टीम अपनी एक नई विजयी गाथा लिखेगी।