भारतीय नौसेना लगातार अपनी ताकत समुद्र में बढ़ा रही है. इसी क्रम पानी के अंदर अपनी ताकत को बढ़ावा देने के लिए नेवी अपनी छठी और आखिरी कलवरी क्लास की सबमरीन बाग्शीर को दिसंबर में शामिल करेगी. इस सबमरीन का निर्माण 23562 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट 75 प्रोग्राम के तहत किया गया.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) में बनी इस पनडुब्बी का अंतिम परीक्षण चल रहा है. फ्रांसीसी फर्म नेवल ग्रुप से ट्रांसफर के साथ, यार्ड में कलवरी-क्लास (स्कॉर्पीन) डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बियों का निर्माण किया गया है. ये सबमरीन सतह-रोधी युद्ध, पनडुब्बी-रोधी युद्ध, लंबी दूरी के हमले, विशेष अभियान और खुफिया जानकारी जैसे विभिन्न मिशनों को अंजाम दे सकती हैं.
ज्यादा पनडुब्बी बनाने के लिए फ्रांस के साथ चल रही बातचीत
भारत विशाल हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी समुद्री स्थिति को मजबूत करने के लिए एमडीएल में तीन और ऐसी पनडुब्बियों के निर्माण के लिए फ्रांस के साथ बातचीत कर रहा है. इससे पहले 29 अगस्त को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में भारत ने अपनी दूसरी स्वदेशी परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी, आईएनएस अरिघात को विशाखापत्तनम में कमीशन किया था.
इस मौके पर राजनाथ सिंह ने कहा था कि यह भारत के परमाणु त्रिकोण को और मजबूत करेगा, परमाणु प्रतिरोध को बढ़ाएगा और क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन स्थापित करने में मदद करेगा. अरिघात या एस-3 दूसरी अरिहंत क्लास की पनडुब्बी है और यह आईएनएस अरिहंत (एस-2) से ज्यादा एडवांस है.
अगले साल इस सबमरीन को किया जाएगा कमीशन
देश की तीसरी परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी, अरिदमन या एस-4, भी अगले साल कमीशन की जाएगी. इसके बाद चौथी एसएसबीएन कोडनेम एस-4 आएगी. अरिहंत क्लास की आखिरी दो पनडुब्बियां बड़ी होंगी और लंबी दूरी की मिसाइलों को लॉन्च करने में सक्षम होंगी. नौसेना हिंद-प्रशांत क्षेत्र में देश के दुश्मनों को रोकने के लिए दो परमाणु ऊर्जा चालित पारंपरिक रूप से सशस्त्र पनडुब्बियों के निर्माण पर भी विचार कर रही है.