भारतीय रेलवे दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती रेल नेटवर्क प्रणाली है। सेवा के साथ-साथ यह नौकरी एवं रोजगार का माध्यम भी बन रहा है। पिछले पांच वर्षों के दौरान रेलवे में दो लाख 94 हजार से ज्यादा पदों पर सीधी नियुक्तियां की गईं।
रेलवे संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में बताया गया है कि नौकरियां और रोजगार देने की प्रक्रिया को पहले से अत्यधिक पारदर्शी एवं व्यवस्थित किया गया है। समिति के सभापति राधामोहन सिंह ने बताया कि अमेरिका, चीन एवं रूस के बाद भारत दुनिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है, जिसमें प्रतिदिन लगभग दो करोड़ से ज्यादा लोग यात्रा करते हैं।
रेल यात्रा को सहज और सुलभ में जुटी सरकार
केंद्र सरकार रेल यात्रा को सहज और सुलभ बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है। इसी मकसद से यात्रियों से टिकट का सिर्फ 53 ही लिया जाता है। बाकी की राशि अनुदान से पूरी की जाती है। रेलवे ने समय और सुरक्षा पर विशेष फोकस किया है। एक ही ट्रैक पर पैसेंजर एवं मालगाडि़यों के परिचालन से बेवजह ट्रेनें लेट होती हैं। इसके लिए दो डेडिकेटेड फ्रेड कोरिडोर का निर्माण किया गया। अन्य चार कोरिडोर की तैयारी है। सुरक्षा के लिए कवच को 1465 रूट किमी और 139 लोकोमोटिव पर तैनात किया गया है।
पिछले दस वर्षों के दौरान रेलवे की उपलब्धियां बताते हुए राधामोहन ने कहा कि वर्ष 2022-23 में स्विट्जरलैंड रेलवे के बराबर 5243 किमी ट्रैक बनाए गए, जबकि नौ वर्षों में जर्मन रेलवे के बराबर 25 हजार 434 किमी ट्रैक बने। बजट की राशि में भी 30 गुना वृद्धि हुई।
रोज 16 किमी नई रेल लाइन बिछाने क लक्ष्य
2004-05 में रेलवे का बजट 8,000 करोड़ और 2013-14 में यह 29,055 करोड़ था, किंतु वर्ष 2023-24 में दो लाख 40 हजार करोड़ हो गया। राधामोहन ने कहा कि नौ वर्षों में नई रेल लाइन बिछाने में लगभग 75 प्रतिशत की वृद्धि हुई। प्रतिदिन 14 किमी ट्रैक बिछाया गया। आगे यह लक्ष्य 16 किमी प्रतिदिन करने का है।
सिंगल लाइन को डबल किया गया। साथ ही रेलवे विद्युतीकरण परियोजनाओं पर पांच गुना राशि बढ़ा दी गई है। ससमय ट्रेन संचालन के साथ-साथ सड़क यात्रा को भी सुरक्षित करने का प्रयास किया गया। इसके तहत में लेवल क्रॉ¨सग (एलसी) को खत्म करने की प्राथमिकता दी जा रही है।