भारत दुनिया का सबसे बड़ा मसाला निर्यातक देश है. भारत के मसालों की महक पूरी दुनिया में फैल रही है. पिछले दो दशक से मसालों का कारोबार तेजी से बढ़ता जा रहा है. देश में न सिर्फ मसालों का उत्पादन बढ़ रहा है बल्कि विदेशों में मांग भी तेजी से उछली है. स्पाइसेज बोर्ड ऑफ इंडिया (Spices Board of India) के आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय मसालों के निर्यात में 30 फीसदी बढ़ोतरी हो चुकी है. मसालों का उत्पादन 7 फीसदी प्रति वर्ष और पैदावार का इलाका 4.4 फीसदी प्रति वर्ष के हिसाब से बढ़ा है.
ग्लोबल कारोबार में भारत का हिस्सा 43 फीसदी
स्पाइसेज बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, 2005 से 2021 के बीच मसालों का निर्यात 30 फीसदी बढ़ गया है. मसालों के ग्लोबल कारोबार में भारत का हिस्सा 43 फीसदी से ज्यादा हो चुका है. हमने 2021-22 के दौरान लगभग 4.1 अरब डॉलर के 15 लाख टन मसालों का निर्यात किया. इस अवधि में उत्पादन की क्षमता 1.63 प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 2.5 टन प्रति हेक्टेयर हो गया. साल 2021-22 में 43.8 लाख हेक्टेयर इलाके में 111.2 लाख टन मसालों का उत्पादन किया गया.
सबसे ज्यादा निर्यात इन मसालों का
भारत से सबसे ज्यादा निर्यात काली मिर्च, इलायची, मिर्च, अदरक, हल्दी, धनिया और जीरा का होता है. पिछले महीने मसाले की चार नई किस्मों, कीट नियंत्रण के लिए आठ, मिक्स क्रॉपिंग सिस्टम और मसालों को सब्जी के साथ उगाने की मंजूरी मिल गई है. सरकार का प्रयास है कि बेहतर बीज और तकनीक के इस्तेमाल से ज्यादा से ज्यादा उत्पादन किया जाए ताकि ग्लोबल और घरेलू डिमांड को पूरा किया जा सके.
हासिल करना है 2 ट्रिलियन डॉलर का निर्यात लक्ष्य
हाल ही में वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल ने कहा था कि हमें 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर का निर्यात लक्ष्य हासिल करना है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए मसाला उद्योग का भी अहम रोल रहने वाला है. भारत और चीन के बीच नंबर वन मसाला एक्सपोर्टर देश बनने की जंग जारी रहती है. इसलिए ऑल इंडिया कोऑर्डिनेटेड रिसर्च प्रोजेक्ट ऑन स्पाइसेज, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ स्पाइसेज और हॉर्टिकल्चर रिसर्च एंड एक्सटेंशन सेंटर द्वारा एक रिसर्च की जा रही है. इसमें उत्पादन बढ़ाने, नई तकनीक का इस्तेमाल और बेहतर कीट प्रबंधन पर शोध किया गया.