दुनिया के कई देश वैश्विक चुनौतियों के हो रहे प्रभाव का सामना कर रहे हैं। ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था और जीडीपी का ग्राफ लगातार आगे बढ़ रहा है। इसे लेकर ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय ने अपने एक अध्ययन में दावा किया है कि भारत का डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) देश की जीडीपी को गति दे रहा है और उद्योगों एवं उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचा रहा है। डीएफसी माल परिवहन लागत को कम कर हर स्टेकहोल्डर को लाभ पहुंचा रहा है।
फ्रेट कॉरिडोर महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना
डीएफसी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसीआईएल) द्वारा प्रबंधित एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना है। एल्सेवियर जर्नल में प्रकाशित यह अध्ययन वित्त वर्ष 2019-20 के लिए पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डब्ल्यूडीएफसी) पर केंद्रित है। इस अध्ययन में बताया गया है कि डीएफसी कैसे कम लागत और माल परिवहन नेटवर्क में समग्र सुधार से स्टेकहोल्डरों को लाभ पहुंच रहा है। इन स्टेकहोल्डरों में क्षेत्र, उद्योग और उपभोक्ता शामिल हैं। मॉडल की सटीकता को आर्थिक डेटा के साथ-साथ सड़क परिवहन मंत्रालय और भारतीय रेलवे के डेटा से भी जांचा गया है और मान्य पाया गया है।
बेहतर कनेक्टिविटी से भारतीय जीडीपी में सुधार
न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय का अध्ययन इस मायने में भी उल्लेखनीय है क्योंकि इसमें भारत के 33 क्षेत्रों और 29 उद्योगों को शामिल किया गया है। अध्ययन से पता चलता है कि बेहतर कनेक्टिविटी से न केवल भारतीय जीडीपी में सुधार हुआ है, बल्कि भारतीय रेलवे की आय में भी काफी वृद्धि हुई है।
डीएफसी देश की जीडीपी में सीधे 160 बिलियन रुपये का योगदान
अध्ययन में पाया गया कि डीएफसी देश की जीडीपी में सीधे 160 बिलियन रुपये का योगदान करेगा। डीएफसी के संचालन द्वारा आई माल परिवहन लागत और पारगमन समय में कमी ने वस्तुओं की कीमतों को 0.5 प्रतिशत तक कम करने में मदद की है। साथ ही यह भी पाया गया कि डीएफसी ने वित्त वर्ष 2022-23 और 2018-19 के बीच भारतीय रेलवे आय की वृद्धि में 2.94 प्रतिशत का योगदान दिया है।
राष्ट्रीय आर्थिक उन्नति में योगदान
अध्ययन में पाया गया कि डीएफसी नेटवर्क ने समग्र राष्ट्रीय आर्थिक उन्नति में योगदान दिया है। सबसे अधिक आर्थिक लाभ डीएफसी के सबसे करीबी वाले पश्चिमी क्षेत्रों में हुआ है जहां माल ढुलाई लागत में काफी हद तक कमी आई है। हालांकि, डीएफसी से दूर वाले क्षेत्रों को भी परिवहन लागत में आई कमी से लाभ पहुंचा है।
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर 96.4 प्रतिशत पूरा
उल्लेखनीय है कि देश के 7 राज्यों और 56 जिलों से होकर गुजरने वाला 2,843 किलोमीटर लम्बा डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, आज 96.4 प्रतिशत पूरा हो चुका है। 1337 किलोमीटर लम्बा पूर्वी डीएफसी (ईडीएफसी) लुधियाना से सोननगर तक जाता है और 1506 किलोमीटर लंबी पश्चिमी डीएफसी (डब्ल्यूडीएफसी) दादरी और मुंबई को जोड़ता है। विभिन्न कोयला खदानों और थर्मल पावर प्लांटों के लिए फीडर रूट के साथ आज पूर्वी डीएफसी 100 प्रतिशत संचालित है। डब्ल्यूडीएफसी का विकास कार्य भी 93.2 प्रतिशत पूरा हो चुका है और इसमें फीडर रूट क्षेत्र के विभिन्न सीमेंट प्लांटों और गुजरात के मुंद्रा, कांडला, पिपावाव और हजीरा के बड़े बंदरगाहों से जुड़े हुए हैं। आज प्रतिदिन डीएफसी पर औसतन 325 ट्रेनें चल रही हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 60 प्रतिशत अधिक हैं। डीएफसी पर मालगाड़ियां तेज़, भारी और सुरक्षित हैं। अपनी स्थापना के बाद से डीएफसी ने लगभग 232 बिलियन जीटीकेएम और 122 बिलियन एनकेटीएम से अधिक पेलोड ढोया है। आज भारतीय रेलवे की 10 प्रतिशत से अधिक माल ढुलाई डीएफसी पर हो रही है।