भारत की चांद पर नजर, पांचवें मून मिशन ‘लुपेक्स’ को राष्ट्रीय अंतरिक्ष आयोग की मंजूरी
भारत अपनी चंद्र महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में चंद्रयान-3 के बाद, एक और बड़ी छलांग लगाने की तैयारी में है। राष्ट्रीय अंतरिक्ष आयोग ने पांचवें चंद्र मिशन – ‘लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन या लुपेक्स’ को मंजूरी दे दी है। राष्ट्रीय अंतरिक्ष आयोग, देश में अंतरिक्ष मिशनों से जुड़ी सर्वोच्च संस्था है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ‘लुपेक्स’, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी का एक संयुक्त मिशन है।
यह मिशन भारत के बड़े चंद्र रोडमैप का हिस्सा है जिसका मकसद अंततः एक अंतरिक्ष यात्री को चांद पर भेजना और सुरक्षित रूप से वापस लाना है।
मीडिया की खबरों के मुताबिक यह मिशन चांद की सतह पर 100 दिनों तक रह सकता है। यह अवधि चंद्रयान-3 के मिशन की अवधि से पांच गुना अधिक है।
मिशन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (90-डिग्री अक्षांश) पर उतरेगा। यह चांद पर पानी और अन्य महत्वपूर्ण संसाधनों की जांच करेगा।
‘लुपेक्स’ चंद्रमा की जमीन के नीचे पानी की मात्रा और वितरण का भी विश्लेषण करेगा।
भारत-जापानी मिशन की योजना चंद्रमा के स्थायी रूप से छाया वाले क्षेत्रों या अंधेरे पक्ष का अन्वेषण करने और इसकी सतह पर विशेषज्ञता हासिल करने की है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मिशन के लिए लॉन्च व्हीकल एक जापानी रॉकेट होगा, लैंडर सिस्टम इसरो द्वारा विकसित किया जाएगा जबकि रोवर जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी द्वारा बनाया जाएगा।
‘लुपेक्स’ रोवर का वजन 350 किलोग्राम हो सकता है जबकि चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर का वजन सिर्फ 26 किलोग्राम था।
मीडिया की खबरों के मुताबिक ‘लूपेक्स’ को जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए रखा जाएगा।
Discover more from Voice Of Bihar
Subscribe to get the latest posts sent to your email.