भारत की रिन्यूएबल एनर्जी यात्रा अन्य उभरते हुए देशों के लिए पथ प्रदर्शक है। केंद्रीय न्यू और रिन्यूएबल एनर्जी मंत्री प्रल्हाद जोशी की ओर से यह बयान दिया गया है।
भारत की ओर से साल 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस कारण लगातार रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता का विस्तार किया जा रहा है। सरकार ने 2030 तक 500 गीगावाट की रिन्यूएबल क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य तय किया है।
मंत्रालय की ओर से कहा गया कि भारत की रिन्यूएबल एनर्जी यात्रा को सरकार की मजबूत नीति और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी का समर्थन प्राप्त है।
उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारत और फ्रांस द्वारा बनाया गया इंटरनेशनल सोलर एलायंस (आईएसए) दुनियाभर में सोलर एनर्जी के उपयोग को बढ़ावा देता है विशेषकर विकासशील देशों में।
प्रधानमंत्री मोदी की ओर से पिछले महीने कहा गया कि जी20 में भारत एकमात्र देश है, जिसने ‘पेरिस क्लाइमेट चेंज समिट-2015’ में किए गए वादों को लेकर प्रतिबद्धता दिखते हुए उन्हें डेडलाइन से पहले पूरा किया है।
मौजूदा समय में देश में स्थापित कुल सोलर और विंड पावर क्षमता क्रमश: 85.47 गीगावाट और 46.65 गीगावाट है। केंद्र सरकार की ओर से सोलर और विंड एनर्जी के विकास को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की जा रही हैं।
2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन से 500 गीगावाट की ऊर्जा उत्पादन क्षमता को प्राप्त करने के लिए सरकार ने ऑटोमेटिक रूट से इस सेक्टर में 100 प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) को अनुमति दी है।
इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक, भारत के पास अच्छा स्थापित इन्फ्रास्ट्रक्चर है, जिसके जरिए रिन्यूएबल एनर्जी जैसे सेक्टर में आसानी से एफडीआई आकर्षित कर सकता है।