भारत का टायर निर्यात अप्रैल-जून तिमाही में 17 प्रतिशत बढ़कर 6,219 करोड़ रुपये हो गया है। ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) की ओर से यह जानकारी दी गई।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग कम हो जाने के कारण पिछले साल समान तिमाही में टायर निर्यात 14 प्रतिशत कम हो गया था।
ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) के चेयरमैन अर्नब बनर्जी ने कहा कि रिसर्च और डेवलपमेंट, एडवांस टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट्स और प्रतिस्पर्धी कीमतें रखने के कारण भारतीय टायर निर्यातकों को निर्यात बढ़ाने में सफलता मिली है।
उन्होंने आगे कहा कि टायर के निर्यात में बढ़ोत्तरी होना दिखाता है कि भारतीय टायर इंडस्ट्री का वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के साथ एकीकरण हुआ है।
वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में भारतीय टायर मैन्युफैक्चरर्स की ओर से सबसे ज्यादा अमेरिका को किया गया, जिसकी हिस्सेदारी 17 प्रतिशत थी। इसके अलावा अन्य बड़े निर्यात डेस्टिनेशन में ब्राजील, जर्मनी, फ्रांस और इटली शामिल है।
भारत में मैन्युफैक्चर किए गए टायरों का 170 से ज्यादा देशों में निर्यात किया जाता है।
वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में टायरों के निर्यात में सबसे बड़ी हिस्सेदारी पैसेंजर कार रेडीयल (पीसीआर) टायरों की थी। इसके बाद मोटरसाइकिल और कृषि मशीनरी में उपयोग होने वाले टायरों की हिस्सेदारी थी।
बनर्जी की ओर से आगे कहा गया कि भारतीय टायर मैन्युफैक्चरर्स के लिए सबसे बड़ा जोखिम, वैश्विक उठापठक और पश्चिम एशिया में तनाव का बढ़ना है।
आगे उन्होंने कहा कि टायर इंडस्ट्री आने वाली चुनौतियां का सामना करते हुए अच्छी गुणवत्ता के टायर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके अलावा इको फ्रेंडली और ईंधन बचाने वाले टायर वैश्विक ग्राहकों के बीच लोकप्रिय बने हुए हैं।