इंदौर गोवर्धन संयंत्र : अपशिष्ट से स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में एक निर्णायक कदम

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इंदौर, जो अपनी स्वच्छता के लिए प्रसिद्ध है। इंदौर नगर निगम ने एक और उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। गोवर्धन संयंत्र, जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 में की थी, जो अब हर दिन करीब 17,000 किलोग्राम बायो-सीएनजी का उत्पादन कर रहा है। यह संयत्र एशिया का सबसे बड़ा ठोस कचरा आधारित संयंत्र है।

यह संयंत्र, गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन (GOBARdhan) पहल का हिस्सा है, जिसे 2018 में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत शुरू किया गया था। इस पहल का उद्देश्य जैविक कचरे- जैसे पशु गोबर, फसल का अवशेष, और रसोई का कचरे को नवीकरणीय ऊर्जा और जैविक खाद में बदलना है।

प्रत्येक दिन, इंदौर के घरों और बाजारों से संग्रहित जैविक कचरा संयंत्र में लाया जाता है। यहां, कचरे को छाना जाता है, फिर उसे घोल में बदलकर बड़े एनाॅरोबिक डायजेस्टर्स में डाला जाता है। इन डायजेस्टर्स में सूक्ष्मजीव कचरे को तोड़ते हैं और बायोगैस का उत्पादन होता है। इस बायोगैस को बायो-सीएनजी में परिवर्तित किया जाता है, जो कि एक साफ-सुथरी ऊर्जा विकल्प है। इसके अलावा, संयंत्र में लगभग सभी दिन 100 टन उच्च गुणवत्ता की खाद भी तैयार होती है, जिसका उपयोग स्थानीय खेतों में किया जाता है, इससे रासायनिक उर्वरकों की जरूरत भी कम पड़ती है।

गोवर्धन संयंत्र हर साल 130,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड को वायुमंडल में जाने से रोकता है

गोवर्धन संयंत्र के पर्यावरणीय लाभ भी काफी महत्वपूर्ण हैं। जैविक कचरे को ऊर्जा में बदलकर यह संयंत्र हर साल लगभग 130,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड को वायुमंडल में जाने से रोकता है। इससे ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम होता है, जो भारत के जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में मदद कर रहा है। संयंत्र द्वारा उत्पादित बायो-सीएनजी भी सतत परिवहन और ऊर्जा सुरक्षा में सहायक है।

गोवर्धन संयंत्र में कर्मचारियों की सुरक्षा को भी ध्यान में रखा जाता है, प्रत्येक कर्मचारी को व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) और नियमित सुरक्षा प्रशिक्षण भी प्रदान किए जाते हैं। गोवर्धन संयंत्र पर्यावरणीय लाभ के अलावा स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा दे रहा है। यह कचरा प्रबंधन, बायोगैस उत्पादन,और आर्गैनिक फार्मिंग में नौकरी के अवसर प्रदान कर रहा है और किसानों को कचरा प्रसंस्करण से एक स्थिर आय स्रोत मुहैया कराता है।

इंदौर का गोवर्धन संयंत्र यह दिखाता है कि कैसे तकनीकी नवाचार और सामुदायिक सहयोग एक सतत भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं। जैसे-जैसे देशभर में ऐसे संयंत्र विकसित हो रहे हैं, सरकारी निवेश और तकनीकी प्रगति के साथ, भारत एक स्वच्छ और अधिक सर्कुलर इकोनाॅमी की ओर महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है, जो शहरी और ग्रामीण दोनों समुदायों को लाभ पहुंचा रही है।

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