कोकून बैंक की अभी तक स्थापना नहीं हो पायी है। जिला उद्योग विभाग के महाप्रबंधक मनीष कुमार के योगदान देने के बाद कोकून बैंक की स्थापना की पहल शुरू हो गयी है। महाप्रबंधक ने बताया कि बुनकरों द्वारा लगातार कोकून बैंक की स्थापना की मांग की जा रही है। इसको लेकर मुख्यालय से संपर्क किया जायेगा। जानकारी हो कि यहां केंद्रीय रेशम बोर्ड द्वारा चार करोड़ की लागत से कोकून बैंक खोलने का प्रस्ताव पूर्व से है। बैंक खुल जाने से भागलपुर व आसपास के बुनकरों को दूसरे राज्यों पर कोकून के लिए आश्रित नहीं रहना पड़ेगा।
बिहार बुनकर कल्याण समिति के पूर्व सदस्य अलीम अंसारी ने बताया कि कोकून बैंक नहीं खुलने से भागलपुर के बुनकरों का सालाना 350 करोड़ रुपये छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश व झारखंड जा रहा है। इस कारण बुनकरों को बड़ी संख्या में कोकून इन राज्यों से खरीदना पड़ता है। उन्होंने बताया कि हाल के समय में भागलपुर में कोकून संकट भी गहरा गया है।
कोकून बाहर न जाए, सरकार दे ध्यान
लोदीपुर के बुनकर चंदन कुमार, चंपानगर के हेमंत कुमार आदि का कहना है कि बांका में जो कोकून का उत्पादन हो रहा है। सरकार उसे बाहर के व्यापारियों को नहीं बेचने दे। इससे स्थानीय बुनकरों को लाभ पहुंचेगा। कोकून से धागे तैयार कर कपड़े तैयार होंगे। इससे कपड़ों की कीमत भी कुछ घटेगी।
बांका के कोकून की खरीदारी करते हैं दूसरे राज्य के व्यापारी
जानकार बताते हैं कि बांका में कोकून उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है। यहां साल में औसतन साढ़े तीन लाख कोकून तैयार होता है। हालांकि इस कोकून का लाभ स्थानीय बुनकर नहीं उठा पाते हैं। यहां से ही दूसरे राज्य के व्यापारी कोकून खरीदते हैं फिर उस कोकून को भागलपुर व अन्य जगहों के बुनकर उनसे ही महंगी कीमत पर खरीदते हैं। दरअसल फसल के समय ही दूसरे राज्य के व्यापारी किसान से उत्पादन तक का सौदा तय कर लेते हैं।