खानदेश की वैष्णो देवी, बुरहानपुर के इच्छादेवी मंदिर की रोचक कहानी

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बुरहानपुर: शारदीय नवरात्रि के अवसर पर बुरहानपुर के इच्छादेवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है. इच्छादेवी के दर्शन से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है. बताया जाता है कि इच्छादेवी माता मंदिर का इतिहास 400 साल पुराना है. यहां देवी की स्वयंभू मूर्ति विराजित हैं. मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के सीमा पर स्थित होने के चलते इसे खानदेश क्षेत्र की वैष्णो देवी भी कहा जाता है।

नवरात्रि पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

शारदीय नवरात्रि के अवसर पर इच्छादेवी मंदिर में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात सहित अन्य राज्यों के श्रद्धालु बड़ी संख्या में माता के दर्शन करने पहुंचते हैं. इस शारदीय नवरात्रि में भक्तों का जन सैलाब उमड़ पड़ा है. चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में यहां भव्य मेला लगता हैं. बताया गया कि नवरात्र के चौथे दिन 1 लाख भक्तों ने माता के दर्शन किए।

नीम की साड़ी पहन मन्नत उतारते हैं भक्त

इच्छादेवी मंदिर ट्रस्ट के सचिव महेश पातोंडीकर ने बताया ” यहां मांगी गई हर मनोकामनाएं पूरी होती है, निसंतान दंपतियों को संतान सुख प्राप्त होने पर पालना चढ़ाते हैं. शारीरिक रोगों से निजात मिलने पर भक्त नीम साड़ी पहनकर मन्नत उतारने आते हैं, इस बार शारदीय नवरात्रि में 5 लाख भक्त दर्शन का लाभ उठाएंगे.”

रोचक है इच्छादेवी माता मंदिर की कहानी

इच्छादेवी मंदिर के बारे एक मान्यता है जिसके बारे में पुजारी भूषण गुरव ने कहा, ” देवीदास नामक ब्राह्मण को देवी ने साक्षात दर्शन दिए थे. जब देवीदास ब्राह्मण को देवी ने वर मांगने को कहा तो उन्होंने जनकल्याण के लिए देवी से सतपुड़ा पहाड़ी में विराजित होने का वर मांगा. उस समय से देवी मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र की बॉर्डर पर स्थित इच्छापुर गांव की सतपुड़ा पहाड़ी में स्वयं प्रकट हुईं.”

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