सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में चल रहे बुलडोजर एक्शन के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। मंगलवार को जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं, हम सब नागरिकों के लिए दिशानिर्देश जारी करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अवैध निर्माण हिंदू, मुस्लिम कोई भी कर सकता है, हमारे दिशानिर्देश सभी के लिए होंगे, चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय के हों। सुप्रीम कोर्ट की ओर से 17 सितंबर को दिया गया आदेश जारी रहेगा, यानि कि देशभर में बुलडोजर एक्शन पर लगी अंतरिम रोक जारी रहेगी।
पब्लिक ऑर्डर सर्वोपरि
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक सड़कों पर, वॉटर बॉडी या रेलवे लाइन की जमीन पर अतिक्रमण से बने मंदिर, मस्जिद या दरगाह जो कुछ भी है, उसे तो जाना ही होगा, क्योंकि पब्लिक ऑर्डर सर्वोपरि है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि साल में 4 से 5 लाख डिमोलिशन की कर्रवाई होती है। ये आंकड़ा पिछले कुछ सालों का है। तब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इनमें से मात्र दो फीसदी के बारे में हम अखबारों में पढ़ते हैं, जिसको लेकर विवाद होता है। इस पर जस्टिस गवई ने मुस्कुराते हुए कहा ‘बुल्डोजर जस्टिस’ ।
सुप्रीम कोर्ट ने ‘बुलडोजर जस्टिस’ पर लगाई थी लगाम
दरअसल, 17 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में आरोपितों को सजा देने के तौर पर इस्तेमाल हो रहे ‘बुलडोजर जस्टिस’ पर लगाम कसते हुए विभिन्न राज्यों में हो रही बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगली सुनवाई तक बिना कोर्ट की इजाजत के इस दरम्यान कोई बुलडोजर कार्रवाई नहीं होगी।
अतिक्रमण हटाने पर नहीं है रोक
हालांकि कोर्ट ने साफ किया था कि अगर सार्वजनिक रोड, फुटपाथ और रेलवे लाइन पर किसी भी तरह का अतिक्रमण है तो वो हटाया जा सकता है। उसके हटाये जाने पर कोई रोक नहीं है।