अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ बिहार के नालंदा में नव नालंदा महाविहार के सहयोग से गुरु पद्मसंभव के जीवन और उनके जीवंत विरासत पर 28 और 29 अगस्त को दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करेगा। बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर मुख्य अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।
संस्कृति मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ बिहार के नालंदा में गुरु पद्मसंभव के जीवन और विरासत पर दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित करेगा। लुंबिनी डेवलपमेंट ट्रस्ट, नेपाल के उपाध्यक्ष खेनपो चिमेद और रॉयल भूटान मंदिर, सेंट्रल मोनास्टिक बॉडी, भूटान के सचिव/मुख्य भिक्षु खेनपो उगयेन नामग्याल सम्मेलन में सम्मानित अतिथि होंगे।
दूसरे बुद्ध के रूप में माने जाने वाले गुरु पद्मसंभव को गुरु रिनपोछे भी कहा जाता है, वे हिमालय के प्रसिद्ध ऋषि रहे जो प्राचीन भारत में आठवीं शताब्दी में रहते थे। इस सम्मेलन के प्रमुख विषयों में उनका जीवन और शिक्षाएं, हिमालय भर में उनकी यात्राएं और, सबसे खास, वर्तमान समय में उनकी प्रासंगिकता शामिल होगी। गुरु पदमसंभव योगिक और तांत्रिक प्रथाओं से लेकर ध्यान, कला, संगीत, नृत्य, जादू, लोककथाओं और धार्मिक शिक्षाओं तक संस्कृति के कई पहलुओं के एकीकरण का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। सम्मेलन में पांडुलिपियों, अवशेषों, चित्रों और स्मारकों के माध्यम से उनकी धम्म विरासत का जश्न मनाने का एक ठोस प्रयास किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि बुद्ध धम्म के मूल सिद्धांतों को फैलाने का प्रयास करते हुए गुरु पदमसंभव ने एक स्थान की विशिष्टताओं और लोगों की संवेदनाओं को समझा। इस प्रकार, उन्होंने अपनी शिक्षाओं को स्थानीय मुहावरे और संस्कृति में ढाला, जिससे आस्था को आत्मसात करना बहुत आसान हो गया।