अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (ICA) 130 वर्षों में पहली बार भारत में अपनी आम सभा और वैश्विक सहकारिता सम्मेलन आयोजित करने जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन महासभा और वैश्विक सहकारी सम्मेलन 2024 का आयोजन 25 नवंबर से 30 नवंबर तक नई दिल्ली के भारत मंडपम में होगा। सम्मेलन का विषय है “सहकारिता सभी के लिए समृद्धि का निर्माण करती है।” यह सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष – 2025 का आधिकारिक शुभारंभ भी करेगा। सम्मेलन में भारतीय गांवों की थीम पर बने ‘हाट’ में भारतीय सहकारी उत्पादों और सेवाओं का प्रदर्शन किया जाएगा। सहकारिता मंत्रालय के एक बयान के अनुसार इस कार्यक्रम में भूटान के प्रधानमंत्री, संयुक्त राष्ट्र आर्थिक परिषद (UN ECOSOC) के अध्यक्ष, अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन के अध्यक्ष, संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि, आईसीए सदस्य, भारतीय सहकारी आंदोलन के प्रमुख तथा 100 से अधिक देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले 1500 प्रतिष्ठित अतिथियों के भाग ले सकते हैं।
एक स्मारक डाक टिकट भी होगा जारी
सोमवार को नई दिल्ली में केंद्रीय सहकारिता सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी, ICA के महानिदेशक हेरोन डगलस और इफको लिमिटेड के प्रबंध निदेशक डॉ. यू.एस. अवस्थी द्वारा एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन कार्यक्रमों का विवरण दिया। बता दें, इस वर्ष के सम्मेलन का विषय है “Cooperatives Build Prosperity for All”, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विज़न ‘सहकार से समृद्धि’ के अनुरूप है। सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष – 2025 का आधिकारिक शुभारंभ भी होगा। इस कार्यक्रम के दौरान अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष – 2025 पर एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया जाएगा। सम्मेलन में भारतीय गांवों की थीम पर बने ‘हाट’ में भारतीय सहकारिता के उत्पादों और सेवाओं को प्रदर्शित किया जाएगा।
सहकारी समितियों के वैश्विक संख्या का एक-चौथाई हिस्सा भारत
सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में भारत में सहकारिता के आंदोलन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए अलग से सहकारिता मंत्रालय का गठन किया गया। डॉ. भूटानी ने कहा कि सहकारी समितियों के वैश्विक संख्या का एक-चौथाई हिस्सा भारत में है, चाहे, सदस्यों की दृष्टि से या समितियों की संख्या की दृष्टि से हो ।
“सहकार से समृद्धि” का विचार अब पूरे विश्व में फैलेगा
उन्होंने बताया कि भारतीय सहकारी क्षेत्र ने सहकारी आंदोलन के विकास और वृद्धि के लिए सहकारिता मंत्रालय की 54 नई पहलों के शुभारंभ के साथ राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में अधिक योगदान प्राप्त करते हुए नई उपलब्धियाँ हासिल की हैं। डॉ. भूटानी ने कहा कि भारतीय सहकारी प्रणाली में सबसे बड़ा परिवर्तन पैक्स मॉडल उपनियमों का कार्यान्वयन था। डॉ. भूटानी ने कहा कि नई दिल्ली में इस अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम के आयोजन से “सहकार से समृद्धि” का विचार अब पूरे विश्व में फैलेगा।
भारत वैश्विक सहकारी आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है
वहीं, आईसीए (ICA) के महानिदेशक हेरोन डगलस ने आयोजित होने जा रहे सम्मेलन के भारत में होने के महत्व पर जोर देकर कहा कि भारत ICA का संस्थापक सदस्य रहा है। सहकारिता मंत्रालय और इफको तथा अन्य सहकारी समितियों की भूमिकाओं पर प्रकाश डालते हुए डगलस ने कहा कि भारत वैश्विक सहकारी आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने इफको को एक महत्वपूर्ण भागीदार बताया, जिसकी रैंकिंग लगातार तीन वर्षों से विश्व सहकारी मॉनिटर में नंबर 1 है। डगलस ने कहा कि दुनिया में लगभग 3 मिलियन सहकारी समितियां हैं, जिनमें संयुक्त राष्ट्र के लगभग सभी सदस्य देशों के एक अरब से अधिक सदस्य हैं।
दुनिया संकटों के एक मोड़ पर खड़ी है
हेरोन डगलस ने कहा कि दुनिया एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है, जहां दुनिया का संकटों की एक श्रृंखला से सामना हो सकता है। जलवायु संकट, जैव विविधता संकट और कई अन्य। उन्होंने कहा कि सहकारिता के मॉडल के माध्यम से हम अपनी सारी समस्याओं का समाधान पा सकेंगे।
पीपल के पेड़ अच्छे कार्बन अवशोषक
इफको लिमिटेड के एमडी डॉ. यू.एस. अवस्थी ने कहा कि केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में इफको की सहायक कंपनी IFFDC पिछले वर्षों में कार्बन क्रेडिट अर्जित करने वाले अग्रणी फर्मों में से एक रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय सहकारिता आंदोलन हमेशा से ही पर्यावरण की रक्षा के लिए सांस्कृतिक रूप से प्रेरित रहा है और भारतीय सहकारिता आंदोलन की इसी विरासत को जारी रखते हुए यह आयोजन कार्बन न्यूट्रल होगा। डॉ. अवस्थी ने कहा कि संभावित कार्बन उत्सर्जन की भरपाई के लिए दस हजार पीपल के पौधे लगाए जाएंगे। डॉ. अवस्थी ने बताया सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सभी की भलाई के लिए 10,000 पेड़ लगाने पर जोर दिया और वह भी पीपल के पेड़ जो अच्छे कार्बन अवशोषक हैं।