महाकुंभ में साधु को चिलम पीना कितना सही? स्वामी रामदेव ने दिया जवाब

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आजकल प्रयागराज संगम का नजारा कुछ और ही है। हिंदुओं के सबसे बड़ा पर्व महाकुंभ 13 जनवरी से यहां शुरू होने जा रहा है। अब वो दिन दूर नहीं, जब संगम तट पर बड़े-बड़े तंबू, नागा साधुओं का रेला, चिलम सुलगाते बाबा और जटाएं लहराते हुए डुबकी लगाते संत देखने को मिलेंगे। किसी भी कुंभ या महाकुंभ में अक्सर देखने को मिलता है कि वहां लाखों की संख्या में नागा साधू आते हैं और चिलम सुलगाते दिखते हैं लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर महाकुंभ में साधु चिलम क्यों पीते हैं, क्या उनको चिलम पीना चाहिए या नहीं?

‘चिलम पीना सनातन धर्म नहीं है’

इस सवाल के जवाब में योग गुरु स्वामी रामदेव ने इंडिया टीवी से बातचीत में कहा, ”मैंने पिछले बार के भी प्रयागराज कुंभ में चिलम दान अभियान शुरू करवाया था। तब मैंने नागा साधुओं, वैरागियों, संन्यासियों के पास जाकर कहा था कि आप चिलम हमको दे दीजिए। आप ये जो चिलम उठाते हो और विदेशी लोग इसकी फोटो खींचकर पूरी दुनिया में वायरल करते हैं।” उन्होंने आगे कहा, ”चिलम पीना सनातन धर्म नहीं है, ये मैं प्रमाणिकता से कह रहा हूं। हमारे सभी संन्यासियों को भी इस बात को कहना चाहिए। जितने भी हमारे अखाड़ों के आचार्य हैं, महामंडलेश्वर हैं, उन्हें अपने-अपने अखाड़ें में जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि मेरे साधु चिलम नहीं पिएंगे।”

प्रयागराज में हो रहे सबसे बड़े धार्मिक त्योहार महाकुंभ को लेकर इंडिया टीवी आपके लिए स्पेशल शो ‘सत्य सनातन’ कॉन्क्लेव लेकर आया है। इस शो में योग गुरु स्वामी रामदेव भी शामिल हुए थे। इस मौके पर उन्होंने सनातन को लेकर विस्तृत चर्चा की।

स्वामी रामदेव ने साधु-संतों नागाओं से मांगा था ‘चिलम’ का दान

यहां आपको बता दें कि पिछली बार प्रयागराज कुंभ के मौके पर योगगुरु बाबा रामदेव नागा साधुओं और संतों के बीच समय बिता रहे थे। इतना ही नहीं, वह उनसे कुछ दान में भी मांग रहे थे और यह दान था नशे का। बाबा रामदेव कुंभ में नशामुक्ति अभियान लेकर चले थे और साधु-संतों से निवेदन कर रहे थे कि वे चिलम वगैरह न पिएं और धूम्रपान न करें।

रामदेव साधु-संतों और नागाओं को जागरूक करते हुए उनसे धूम्रपान न करने की अपील भी कर रहे थे। उन्होंने बाबाओं से चिलम आदि दानस्वरूप मांगी थी और उनके निवेदन को स्वीकार करते हुए कई संतों व नागाओं ने अपनी चिलम सहर्ष उन्हें सौंप दी थी।