इस बार पेरिस ओलंपिक में भारत की गोल्ड मेडल जीतने की उम्मीदें टूट गईं। स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा को सिल्वर मेडल से ही संतोष करना पड़ा। जबकि पाकिस्तान के एथलीट अरशद नदीम ने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा। उन्होंने 92.97 मीटर का भाला फेंक नया ओलंपिक रिकॉर्ड भी बनाया। अरशद नदीम अब पाकिस्तान पहुंच गए हैं। जहां उनका भव्य स्वागत हो रहा है। अरशद को नीरज की मां ने भी अपना ही बेटा बताते हुए बधाई दी थी।
सुखेरा राजपूत कम्युनिटी से जुड़े हैं अरशद नदीम
अरशद के निजी जीवन की बात करें तो वह पाकिस्तान में सुखेरा राजपूत कम्युनिटी से जुड़े हैं। यानी अरशद मुस्लिम होने के साथ-साथ राजपूत भी हैं। पंजाब के मियां चानू के रहने वाले अरशद सुखेरा राजपूत वंश से आते हैं। जिन्हें वहां सुखेड़ा भी कहा जाता है। पाकिस्तान में सुखेरा पंजाबी मुस्लिम ग्रुप से हैं। वे तोमर राजपूत वंश की शाखा से जुड़े हैं।
The only support that deserves the credit for Arshad Nadeem’s success. pic.twitter.com/WqoWVmlJLM
— Awais Saleem (@awaissaleem77) August 8, 2024
हरियाणवी बोलती है कम्युनिटी
सुखेरा कम्युनिटी को हिंजराओं, साहू, भानेका और चोटिया के साथ पछाड़ा की चार उप-जनजातियों में से एक माना जाता है। इसमें से हर उप-जाति शान से खुद को राजपूत कुल से जुड़ा बताती है। खास बात यह है कि इस कम्युनिटी के लोग अब भी हरियाणवी बोलते हैं। हालांकि वे सुन्नी मुस्लिम हैं, लेकिन उनके रीति-रिवाज हरियाणवी मुस्लिम जैसे हैं। उनके परिवेश में भी इसकी झलक देखी जा सकती है। वे हरियाणवी मुस्लिम रंगहर और मेवों रीति रिवाजों को फॉलो करते हैं।
सैकड़ों साल पहले धर्म परिवर्तन को होना पड़ा मजबूर
कहा जाता है कि ये सुखेरा डोडिया राजपूत राजवंश से जुड़े हैं। सुखेरा समुदाय की उत्पत्ति रावत प्रताप सिंह डोडिया से हुई थी। जो सुखेरा राजपूतों के पहले रावत थे। जिन्हें आज से सैकड़ों साल पहले धर्म परिवर्तन करना पड़ा। हालांकि वे अपनी पहचान के तौर पर इस कम्युनिटी से जुड़े रीति-रिवाजों को शान से मानते हैं। पाकिस्तान में ऐसे राजपूतों की संख्या काफी ज्यादा है। मध्यकाल में मुगलों की सत्ता के दौरान 12वीं शताब्दी के बाद इनका धर्मांतरण होना माना जाता है। पाकिस्तान में मुस्लिम राजपूतों की आबादी करीब 1.6 करोड़ है तो वहीं भारत में ये करीब 29 लाख के हैं।