ISRO ने फिर से गाड़ा सफलता का झंडा, आदित्‍य-L1 धरती से 9.2 लाख किलोमीटर दूर लैग्रेंज प्वाइंट के करीब पहुँचा

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक के बाद एक सफलता के झंडे गाड़ रहा है। आदित्‍य-L1 मिशन को लेकर बड़ी गुड न्‍यूज आई है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया है कि आदित्‍य-एल1 धरती से 9.2 लाख किलोमीटर से ज्‍यादा की दूरी तय कर चुका है। पृथ्वी के प्रभाव वाले क्षेत्र से सफलतापूर्वक बचकर इसने यह दूरी तय की है।

अब यह सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल 1) की ओर अपना रास्ता तय कर रहा है। यह लगातार दूसरी बात है जब इसरो पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र के बाहर अंतरिक्ष यान भेजने में सफल हुआ है। पहली बार मार्स ऑर्बिटर मिशन के साथ उसने ऐसा किया था।

ISRO ने शाम को आदित्‍य-L1 मिशन को लेकर अपडेट शेयर किया। उसने बताया कि मिशन अपने ट्रैक पर है। स्‍पेसक्राफ्ट पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से सफलतापूर्वक बचकर 9.2 लाख किलोमीटर से ज्‍यादा की दूरी तय कर चुका है।

अब यह सन-अर्थ लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1) की ओर अपना रास्ता तलाश रहा है। उसने यह भी बताया कि यह लगातार दूसरी बार है जब इसरो किसी अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र के बाहर भेज सका। पहली बार मार्स ऑर्बिटर मिशन के साथ ऐसा करने में सफलता मिली थी।

सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आदित्‍य एल-1 को 2 सितंबर को लॉन्‍च किया गया था। एल1 ऐसा प्‍वाइंट है जहां से सूरज पर चौबीस घंटे अध्‍ययन किया जा सकता है। इस प्‍वाइंट पर धरती और गुरुत्‍वाकर्षण के बीच बैलेंस बन जाने से सेंट्रिफ्यूगल फोर्स पैदा होता है। इसकी वजह से स्‍पेसक्राफ्ट एक जगह स्थिर रहता है।

चंद्रयान-3 की सफलता के बाद ISRO के हौसले बुलंद हैं। इस मिशन के बाद ही उसने आदित्‍य एल-1 को लॉन्‍च किया था। आगे के लिए भी उसकी बड़ी योजना है। वह सौरमंडल के बाहर के ग्रहों का अध्‍ययन करने का प्‍लान बना रहा है। हाल में इसके बारे में इसरो चीफ एस सोमनाथ ने जानकारी दी थी।

Rajkumar Raju: 5 years of news editing experience in VOB.