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ISRO और NASA आए साथ: भारत-अमेरिका ने आर्टेमिस समझौते पर किया साइन, जानें स्पेस मिशन में क्या होगा फायदा?

BySumit ZaaDav

जून 22, 2023
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के बीच अंतरिक्ष के क्षेत्र में बड़ा करार हुआ है। अमेरिका-भारत ने आर्टेमिस समझौते (Artemis Accords) पर साइन किया है। व्हाइट हाउस ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रीय वैमानिकी और अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन 2024 के लिए एक संयुक्त मिशन पर सहमत हुए हैं। यह समझौता सभी मानव जाति के लाभ के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक आम दृष्टिकोण को आगे बढ़ाता है।

दरअसल, अमेरिका 2025 तक चंद्रमा पर इंसानों को ले जाना चाहता है। इसलिए नासा भी इसरो के साथ काम करना चाहता है। आर्टेमिस समझौते पर अब तक 25 देशों ने साइन किया है। भारत अब 26वां देश है। आर्टेमिस समझौता समान विचारधारा वाले देशों को एक साथ लाता है।

क्या है आर्टेमिस समझौता?

आर्टेमिस समझौता नियमों का एक समूह है, जिसका पालन स्पेस की खोज और उसका उपयोग देश करते हैं। ये नियम 1967 की अंतरिक्ष संधि (OST) पर आधारित है। इसे 21वीं सदी में अंतरिक्ष अन्वेषण और उपयोग को निर्देशित करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह 2025 तक मनुष्यों को चंद्रमा पर वापस लाने का एक अमेरिकी नेतृत्व वाला प्रयास है, जिसका अंतिम लक्ष्य मंगल और उससे आगे के स्थानों की खोज करना है।

व्हाइट हाउस के अधिकारी ने कहा कि नासा और इसरो इस साल मानव अंतरिक्ष उड़ान सहयोग के लिए एक रणनीतिक ढांचा विकसित कर रहे हैं। इसके अलावा नासा और इसरो वर्ष 2024 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक संयुक्त मिशन पर सहमत हुए हैं।

सेमीकंडक्टर मिशन: 800 मिलियन डॉलर के निवेश का ऐलान

माइक्रोन टेक्नोलॉजी ने भारतीय राष्ट्रीय सेमीकंडक्टर मिशन के समर्थन से 800 मिलियन डॉलर से अधिक के निवेश की घोषणा की है। जिसमें भारत में 2.75 बिलियन डॉलर की सेमीकंडक्टर असेंबल और परीक्षण सुविधा शामिल है। देश में 60,000 भारतीय इंजीनियरों के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा।

वहीं, एडवांस टेलीकम्युनिकेशन के लिए 5जी और ओपन राउटिंग सिस्टम सहित अन्य टेक्नोलॉजी पर एक साथ काम करने का ऐलान किया गया है। इससे रोजगार भी बढ़ेगा।

नासा ने कहा था- भारत एक वैश्विक शक्ति

नासा कार्यालय में प्रौद्योगिकी, नीती और रणनीति के लिए सहायक प्रशासक भव्या लाल ने पीएम मोदी के अमेरिका दौरे से पहले कहा था कि आर्टेमिस समझौते पर साइन करना भारत की प्राथमिकता होनी चाहिए। नासा महसूस करता है कि भारत एक वैश्विक शक्ति है। भारत उन कुछ देशों में एक है, जो चंद्रमा पर गया है, मंगल पर गया है, इसे आर्टेमिस टीम का हिस्सा होने की आवश्यकता है।

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