इसरो आज श्रीहरिकोटा से लॉन्च करेगा चंद्रयान-3, जानें इस मिशन का उद्देश्य?
आज का दिन भारत और भारतवासियों के लिए गर्व भरा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने ड्रीम प्रोजेक्ट चंद्रयान-3 को लॉन्च करने जा रहा है। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से आज दोपहर 2:35 बजे चंद्रयान-3 पृथ्वी से चंद्रमा की तरफ उड़ान भरेगा। करीब 40 से 50 दिन की यात्रा करने के बाद चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड करेंगे। इस मून मिशन पर पूरी दुनिया की नजर है। वैज्ञानिकों ने इस मिशन को गेम चेंजर बताया है।
इसरो चीफ एस सोमनाथ और अन्य वैज्ञानिकों ने गुरुवार को तिरुपति वेंकटचलपति मंदिर में पूजा अर्चना की। इसरो चीफ ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि वह सफलतापूर्वक चांद पर उतरेगा। रोवर 26 किलो वजनी है जो 2 हफ्ते तक (चांद पर) काम करेगा। रोवर में काफी कैमरा लगे हैं।
चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर सैटेलाइट अभी भी चालू
22 जुलाई 2019 को भारत ने चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया था। वैज्ञानिकों ने चंद्रमा पर एक रोवर और एक ऑर्बिटर भेजा था। लैंडिंग हार्ड हुई थी, इसके चलते मिशन फेल हो गया था। हालांकि ऑर्बिटर सैटेलाइट अभी भी काम कर रहा है और उसके जरिए चंद्रमा से जुड़ी काफी जानकारी मिली है। चंद्रयान-3 पिछले मिशन का फॉलोअप मिशन है।
मून मिशन से हासिल क्या होगा?
चंद्रयान-3 चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने के बाद लैंडर का उपयोग करके सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग करेगा। चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद लैंडर मॉड्यूल से बाहर आएगा और अपने पेलोड APXS – अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर के माध्यम से चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेगा। इसके माध्यम से ग्रह की रासायनिक संरचना को जांचा और परखा जा सकेगा। प्राप्त की जा सके और चंद्रमा की समझ को और बढ़ाने के लिए खनिज संरचना का अनुमान लगाया जा सके।
इस रोवर के जरिए चन्द्रमा पर पड़ने वाली रोशनी, रेडिएशन, मून की थर्मल कंडक्टिविटी और तापमान की स्टडी की जाएगी। इसके साथ ही लैंडिंग साइट के आसपास होने वाली भूकंपीय गतिविधियों का भी अध्ययन किया जाएगा। चन्द्रमा की सतह पर प्लाज्मा के घनत्व और उसमें हुए बदलावों को भी इस मिशन के जरिए समझने का प्रयास किया जाएगा।
चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 में क्या है अंतर?
- चंद्रयान-2 में लैंडर, रोवर और ऑर्बिटर था। चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं है। सिर्फ लैंडर और रोवर है।
- चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर की जगह स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल लगा है। जरूरत पड़ने पर चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर की मदद ली जाएगी।
- प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रयान-3 के लैंडर, रोवर को चंद्रमा की सतह पर छोड़ देगा, जो चंद्रमा के चारों तरफ 100 किमी की गोलाकार कक्षा में चक्कर लगाता रहेगा।
- प्रोपल्शन मॉड्यूल कम्यूनिकेशन के लिए है। यह लैंडर-रोवर से मिला संदेश भारत तक पहुंचाएगा।
Discover more from Voice Of Bihar
Subscribe to get the latest posts sent to your email.