भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष डॉ. एस. सोमनाथ ने आज शुक्रवार को कहा कि सभी के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि अंतरिक्ष में क्या हो रहा है। चाणक्य रक्षा संवाद 2024 में ‘अंतरिक्ष स्थिति जागरूकता- राष्ट्रीय हितों की निगरानी और सुरक्षा विषय पर अपने डॉ. सोमनाथ ने कहा ” हमें यह समझना चाहिए कि हम किस प्रकार के अंतरिक्ष यान लॉन्च कर रहे हैं। 1960 के दशक में, अंतरिक्ष में कुछ भी नहीं था। लेकिन आज, अंतरिक्ष में लाखों वस्तुएं हैं।”
डॉ. सोमनाथ ने बताया कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि हम अंतरिक्ष में संचार,पृथ्वी अवलोकन, नौवहन, और अंतरिक्ष विज्ञान जैसे उद्देश्यों के लिए कई अंतरिक्ष यान लॉन्च कर चुके हैं। उन्होंने अंतरिक्ष जागरूकता पर बात करते हुए कहा “यह क्षेत्र बदल रहा है और तकनीक लगातार विकसित हो रही है। समय के साथ, उपग्रहों की रिजाॅल्यूशन और स्पेक्ट्रल गुणवत्ता में सुधार हो रहा है। विभिन्न आकारों और प्रकारों में बड़े, छोटे और मध्यम आकार के उपग्रह लॉन्च किए जा रहे हैं।
डॉ. सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष में वस्तुओं की निगरानी करना चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा कि चंद्रमा और मंगल भी अब भीड़भाड़ वाले हो गए हैं क्योंकि मानव अंतरिक्ष मिशनों की संख्या बढ़ी है। तकनीक बदल रही है, इसलिए हमें लचीले और अनुकूलनशील उपग्रह बनाने पर ध्यान देना होगा।
उन्होंने बताया कि अब “रॉकेट के लिए, 95 फीसदी हिस्से भारत में बनाए जाते हैं और 5 फीसदी हिस्से बाहर से आते हैं। ये 5% ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक हिस्से होते हैं। अंतरिक्ष यानों के लिए लगभग 60 प्रतिशत भारत में निर्मित होते हैं, जबकि 40 प्रतिशत बाहर से आते हैं। अंतरिक्ष यानों के लिए उच्च-स्तरीय इलेक्ट्रॉनिक्स पर निर्भरता बहुत अधिक है, लेकिन रॉकेट के लिए नहीं है। रॉकेट के लिए हम आज की क्षमताओं के साथ 100 फीसदी घरेलू उत्पादन कर सकते हैं।