गुरुवार को भोजनावकाश के बाद आरक्षण संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान बिहार विधानसभा का माहौल एकबार फिर गरमा गया। सत्ता पक्ष और विपक्ष में तनातनी की स्थिति पैदा हो गयी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी के बारे में कहा कि ये मेरी मूर्खता के कारण मुख्यमंत्री बने। ये राज्यपाल बनना चाहते हैं। इसलिए बीजेपी के पीछे-पीछे दौड़ रहे हैं। इस पर प्रतिक्रिया में पूर्व मुख्यमंत्री व हम प्रमुख जीतन राम मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर से मिलकर राज्य सरकार को बर्खास्त करने की मांग करेंगे। दूसरी तरफ, जीतनराम मांझी पर मुख्यमंत्री की टिप्पणी के बाद भाजपा के सदस्यों ने सदन में विरोध प्रदर्शन किया।
दरअसल, बिहार विधानसभा में जब आरक्षण संशोधन विधेयक पर चर्चा आरंभ हुई तो इस पर बोलने के लिए आसन ने कुछ नेताओं को मौका दिया। जीतन राम मांझी भी इस विधेयक पर अपनी बात रखना चाहते थे। लेकिन, जब शैक्षिक संस्थानों में नामांकन से जुड़े विधेयक की बारी आई तो सभाध्यक्ष अवध विहारी चौधरी ने श्री मांझी को बोलने का मौका सबसे पहले दिया। जीतन राम मांझी ने अपनी बात रखते हुए जातीय गणना की रिपोर्ट पर सवाल खड़े किये। उन्होंने कहा कि इसकी रिपोर्ट सही नहीं है। टेबुल वर्क किया गया है। इसी दौरान मुख्यमंत्री ने खड़े होकर हस्तक्षेप किया। कहा कि ये क्या बोल रहे हैं, कुछ समझ में नहीं आ रहा है। इनको कुछ आइडिया है? मेरी गलती है कि इन्हें मुख्यमंत्री बना दिए। कुछ भी ऐसे ही बोलते रहते हैं। इनके परिवार वाले भी इनके खिलाफ हैं। ये उधर (बीजेपी) थे। इसके बाद इधर आ गए। ये राज्यपाल बनना चाहते हैं। भाजपा को मेरा सुझाव है कि आप इनको राज्यपाल बना दीजिए। मैंने इन्हें जब सीएम बनाया तो दो महीने के बाद ही पार्टी के लोग विरोध करने लगे। मुख्यमंत्री की बातों के बीच जीतनराम मांझी ने कई बार कहा, आप गलत बोल रहे हैं। इसी बीच सभाध्यक्ष ने भी टिप्पणी की, मुख्यमंत्री जी आपने मांझी जी को सीएम बनाया है, यह देश ही नहीं पूरी दुनिया जानती है।
भागीरथी देवी वेल में आईं
मुख्यमंत्री और मांझी के बीच हुई वार्तालाप के दौरान भाजपा विधायक भागीरथी देवी ने विरोध किया। सीएम की टिप्पणी के खिलाफ वेल में पहुंच गयीं। इसके बाद भाजपा के अन्य विधायक भी वेल में आकर नारेबाजी करने लगे तो सभाध्यक्ष ने कार्यवाही स्थगित कर दी।