इस वर्ष दीपावली का पर्व देशभर में 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा। काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट, काशी विद्वत परिषद और पंचांगकारों ने इस तिथि को लेकर अपना अंतिम निर्णय सुनाया है। 31 अक्टूबर को अपराह्न 3:52 बजे अमावस्या की शुरुआत होगी, जो एक नवंबर की शाम 5:13 बजे तक रहेगी। इसी दिन प्रदोष काल के दौरान रात्रि में अमावस्या का योग बन रहा है, जो दीपोत्सव के लिए सबसे शुभ मुहूर्त माना गया है।
प्रदोष काल का महत्व दीपावली हमेशा प्रदोष काल में मनाई जाती है, और 31 अक्टूबर को 2.24 घंटे का प्रदोष काल है, जो शाम से रात्रि तक फैला रहेगा। एक नवंबर को कुछ हिस्सों में प्रदोष काल 10 मिनट से लेकर अधिकतम 60 मिनट तक रहेगा, जो शास्त्रों के अनुसार पर्याप्त नहीं माना जा रहा है। इसलिए, 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाना धर्मसंगत बताया जा रहा है।
पश्चिमी राज्यों में दो दिनों की अमावस्या का भ्रमज्योतिष विभाग के प्रो. विनय पांडेय ने बताया कि राजस्थान, गुजरात और केरल के पंचांगों में दो दिनों की अमावस्या का उल्लेख था। यह इस वजह से है कि इन राज्यों में सूर्यास्त का समय बाकी भारत से थोड़ा देर से होता है। लेकिन 31 अक्टूबर को पूरे देश में अमावस्या प्रदोष काल में आएगी, जो दीपावली मनाने के लिए सबसे उपयुक्त समय है।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भेजी जाएगी चिट्ठीकाशी विद्वत परिषद, बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय और अन्य पंचांगकारों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर आग्रह किया जाएगा कि पूरे देश में 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाई जाए। अब इस संबंध में कोई भ्रम नहीं रह गया है, और सभी पंचांगकारों ने इस तिथि को दीपावली के लिए अंतिम रूप से स्वीकार किया है।
एक नवंबर को दीपावली मनाना शास्त्रों के विपरीत धर्मशास्त्रों के अनुसार, अमावस्या प्रदोष काल में होनी चाहिए, और एक नवंबर को प्रदोष काल का समय बहुत कम होने के कारण, इस दिन दीपावली मनाना शास्त्रों के अनुसार उचित नहीं होगा। इसलिए, देशभर में 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाने का निर्णय लिया गया है