कांग्रेस का साथ छोड़ते जा रहे उसके सिपाही, पूर्व सीएम की बेटी बीजेपी में हुईं शामिल
आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी दक्षिण भारत में अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटी है। इसे लेकर बीजेपी ने दक्षिण भारत में भी अन्य दलों के नेताओं को अपने पाले में करने के अभियान को तेज कर दिया है। वहीं, कांग्रेस के एक-एक कर दिग्गज नेता बीजेपी में शामिल होते जा रहे हैं। इस बीच, कांग्रेस के दिवंगत नेता और केरल के पूर्व मुख्यमंत्री के. करुणाकरन की बेटी पद्मजा वेणुगोपाल गुरुवार को दिल्ली में बीजेपी में शामिल हो गईं। पूर्व केंद्रीय मंत्री व बीजेपी के केरल मामलों के राष्ट्रीय प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर और राष्ट्रीय सचिव अरविंद मेनन सहित अन्य नेताओं की मौजूदगी में पद्मजा ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।
बीजेपी में शामिल होकर जताई खुशी
वेणुगोपाल ने दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वह बीजेपी में शामिल होकर बहुत खुश हैं, लेकिन थोड़ा तनाव में भी हैं, क्योंकि वह कई वर्षों तक कांग्रेस के साथ रहीं। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पार्टी छोड़ दी, क्योंकि मैं कई वर्षों से कांग्रेस से खुश नहीं थी, खासतौर पर केरल में हुए पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से।’’ वेणुगोपाल ने कहा कि उन्होंने अपनी शिकायतों पर चर्चा करने के लिए कई बार कांग्रेस नेतृत्व से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कभी समय नहीं दिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘हर पार्टी में एक मजबूत नेतृत्व होना चाहिए। कांग्रेस में कोई नेतृत्व नहीं है। मैं सोनिया जी का बहुत सम्मान करती हूं, लेकिन मैं उनसे मिल नहीं सकी। उन्होंने मिलने का समय नहीं दिया।’’ पद्मजा के भाई के. मुरलीधरन वडकरा से कांग्रेस के सांसद हैं।
दो बार विधानसभा चुनाव लड़ी थीं
इससे पहले केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ए के एंटनी के बेटे अनिल एंटनी बीजेपी में शामिल हुए थे। अनिल को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए केरल की पत्तनमतिट्टा सीट से उम्मीदवार बनाया है। वह बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं। पद्मजा ने साल 2004 के लोकसभा चुनाव में मुकुंदपुरम (अब चलाकुडी) से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। दिवंगत करुणाकरन और बेटे मुरलीधरन ने 2004 में कांग्रेस छोड़ दी और लोकतांत्रिक इंदिरा कांग्रेस (करुणाकरण) का गठन किया, लेकिन पार्टी कोई प्रभाव डालने में विफल रही। साल 2007 में वह कांग्रेस में लौट आए। कहा जाता है कि पद्मजा ने उन्हें पार्टी में वापस लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लेकिन पद्मजा को अपने राजनीतिक करियर में असफलताओं का सामना करना पड़ा। पद्मजा ने 2016 और 2021 का विधानसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन उन्हें दोनों बार हार का सामना करना पड़ा।
Discover more from Voice Of Bihar
Subscribe to get the latest posts sent to your email.