जेल में बंद कैदी अब बिहार के खेतों में उगाएंगे फसल, जैविक कृषि को मिलेगा बढ़ावा

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भागलपुर. जेल में कैदी सिर्फ सजा ही नहीं काटते हैं, यहां भी अलग अलग प्रयोग होता है. इसी प्रयोग के तहत अब जेल में भी खेती होती है. यह सुनकर आपको आश्चर्य लग रहा होगा लेकिन यह सही है की जेल में भी खेती होती है. अब कृषि विभाग जैविक खेती की तरफ लोगों को अग्रसर कर रही है. इसी कड़ी में भागलपुर के सेंट्रल जेल में कैदी को जैविक खाद बनाने का प्रशिक्षण दिया गया. इसके तहत 43 कैदी इसकी ट्रेनिंग लेंगे. ताकि बाहर निकलने के बाद वो आत्मनिर्भर हो सके।

आत्मा के निदेशक प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि करीब 43 कैदी को हम लोगों ने ट्रेनिंग दी है. इससे काफी लाभ होने वाला है. उन्होंने बताया कि जेल में साग सब्जी फल के बचे अपशिष्ट व गोबर से जैविक खाद तैयार किया जाएगा. इतना ही नहीं सबसे खास बात कि जब कैदी जेल से बाहर आ जाएंगे तो वह अपना स्वरोजगार कर पाएंगे. अगर प्रशिक्षित रहते हैं तो गांव में भी जैविक खाद बनाकर और इसकी मार्केटिंग कर सकते हैं।

उन्होंने बताया कि जेल में तैयार होने वाले खाद को वहां के खेतों में उपयोग किया जाएगा. अगर वहां से खाद बच जाती है तो मार्केटिंग पर भी जोड़ दिया जा सकता है. ताकि अधिक से अधिक जैविक खाद किसानों को मिले और रासायनिक खाद को छोड़ जैविक खाद से खेती करें. इससे धीरे-धीरे कृषि के क्षेत्र में बदलाव होगा।

कैदियों से किया यह आग्रह

उन्होंने बताया कि रासायनिक खाद के प्रयोग से भूमि में कई ऐसे जीवाश्म भी होते हैं जिसकी मृत्यु हो जाती है. अधिक दिनों तक इस खाद के प्रयोग से धीरे-धीरे उपज की क्षमता घटने लगती है लेकिन अगर जैविक खाद का उपयोग करते हैं तो यह हमारे भूमि के लिए भी लाभदायक है. उपज के लिए भी लाभदायक है।

धीरे-धीरे खेतों की उपज बढ़ती चली जाएगी साथ ही पैदावार अनाज में ताकत की क्षमता अधिक होगी. इसलिए हम लोग जेल में प्रशिक्षण दिए हैं. वहां के कैदी से आग्रह भी किए हैं कि जब भी आप यहां से बाहर निकले तो जैविक खाद जरूर बनाएं. ताकि आने वाले समय में किसानों को अधिक पैमाने पर खाद मिल पाए और कृषि के क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।

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