एएनआई, न्यूयॉर्क। भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा की 79वीं बैठक को संबोधित किया। संबोधन के दौरान उन्होंने पाकिस्तान का नाम लेकर उस पर कड़ा प्रहार किया है। विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान की जीडीपी को केवल कट्टरता और आतंकवाद के रूप में इसके निर्यात को मापा जा सकता है।
अपने संबोधन की शुरूआत में एस जयशंकर ने कहा कि हम 79वें UNGA थीम – ‘किसी को पीछे न छोड़ना’ का दृढ़ता से समर्थन करते हैं। हम एक कठिन समय में यहा एकत्र हुए हैं। दुनिया अभी भी कोविड महामारी के कहर से उबर नहीं पाई है। यूक्रेन में युद्ध अपने तीसरे वर्ष में है और गाजा में संघर्ष व्यापक रूप ले रहा है।
‘दुनिया में बातचीत मुश्किल’
उन्होंने कहा, ‘सच तो यह है कि दुनिया में मतभेद, ध्रुवीकरण और निराशा है। बातचीत मुश्किल हो गई है, समझौते तो और भी मुश्किल हो गए हैं। निश्चित रूप से संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक हमसे यही नहीं चाहते थे। आज हम पाते हैं कि शांति और समृद्धि दोनों ही समान रूप से खतरे में हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि विश्वास खत्म हो गया है और प्रक्रियाएं टूट गई हैं।’
एस जयशंकर ने यूएन को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया बड़े पैमाने पर हिंसा की निरंतरता के बारे में भाग्यवादी नहीं हो सकती, न ही इसके व्यापक परिणामों के प्रति अभेद्य हो सकती है। चाहे वह यूक्रेन में युद्ध हो या गाजा में संघर्ष, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय तत्काल समाधान चाहता है। इन भावनाओं को स्वीकार किया जाना चाहिए और उन पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
‘आतंकवाद दुनिया की हर चीज के विपरीत’
उन्होंने कहा कि आतंकवाद दुनिया की हर चीज के विपरीत है। इसके सभी रूपों और अभिव्यक्तियों का दृढ़ता से विरोध किया जाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादियों को प्रतिबंधित करने में भी राजनीतिक कारणों से बाधा नहीं डाली जानी चाहिए।
वहीं पाकिस्तान पर सीधे निशाना साधते हुए विदेश मंत्री ने कहा, ‘कई देश अपने नियंत्रण से परे परिस्थितियों के कारण पीछे छूट जाते हैं, लेकिन कुछ देश जानबूझकर ऐसे फैसले लेते हैं, जिनके परिणाम विनाशकारी होते हैं। इसका एक बेहतरीन उदाहरण हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान है। दुर्भाग्य से, उनके कुकृत्यों का असर दूसरों पर भी पड़ता है, खास तौर पर पड़ोस पर।’
एस जयशंकर ने कहा, ‘यह राजनीति अपने लोगों में इस तरह की कट्टरता भरती है। इसकी जीडीपी को केवल कट्टरता और आतंकवाद के रूप में इसके निर्यात के संदर्भ में मापा जा सकता है। आज, हम देखते हैं कि दूसरों पर जो बुराइयां लाने की कोशिश की गई, वे उसके अपने समाज को निगल रही हैं। इसके लिए दुनिया को दोष नहीं दिया जा सकता। यह केवल कर्म है। दूसरों की जमीनों पर लालच करने वाले एक बेकार देश को उजागर किया जाना चाहिए और उसका मुकाबला किया जाना चाहिए।’