भारतीय सेना की राष्ट्रीय राइफल्स ने 25 सीमावर्ती गांवों की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए 40 दिवसीय ड्राइविंग कोर्स शुरू किया है। भारत-पाकिस्तान एलओसी के पास पुंछ के मेंढर में कोर्स शुरू कराया गया है।
यह 40 दिवसीय ड्राइविंग कोर्स क्षेत्र के 25 सीमावर्ती गांवों की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस प्रशिक्षण के माध्यम से महिलाएं दोपहिया और चार पहिया वाहन चलाने में सक्षम होंगी। सीमावर्ती इलाकों में महिलाओं के लिए वाहन चलाने का प्रशिक्षण न केवल उनकी आजीविका के लिए बल्कि आपातकालीन परिस्थितियों में भी उपयोगी साबित होगा।
सेना द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में महिलाओं को इस कोर्स की जानकारी दी गई, ताकि वे इसका पूरा लाभ उठा सकें। इस पहल का महिलाओं ने खुले दिल से स्वागत किया और भारतीय सेना का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सेना की इस सकारात्मक मुहिम से वे न केवल आत्मनिर्भर बनेंगी बल्कि अपने परिवारों और समाज के लिए भी योगदान दे पाएंगी।
एक प्रतिभागी मीनाक्षी बक्शी का कहना है कि मैं भारतीय सेना द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम को देखकर बहुत खुश हूं, एलओसी के किनारे रहने वाली महिलाओं के लिए यह एक अच्छी पहल है। इससे उन्हें अपने सशक्तिकरण को समझने में मदद मिलेगी और हर क्षेत्र में वो आगे बढ़ेगी। सेना ने जो ड्राइविंग कोर्स लागू किया है, वह महिलाओं को भाग लेने और अपने कौशल को बढ़ाने में सक्षम बनाएगा। मेरा मानना है कि महिलाओं को आत्मनिर्भर होना चाहिए। एलओसी के किनारे रहने वाली महिलाओं के लिए हमारी सेना जो यह पहल शुरू की है, उसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देती हूं।
वहीं जेबा अंजुम ने कहा कि मैं सेना का धन्यवाद करना चाहूंगी कि उन्होंने ऑपरेशन सद्भाव के तहत जो ये मिशन शुरू किया है। एलओसी के पास रहने वाली महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए ड्राइविंग कोर्स शुरू किया है। यहां हम लोग बिना पैसे से ड्राइविंग कोर्स करेंगे। भारत की सेना की यह अच्छी पहल है। मैं उन्हें धन्यवाद देती हूं। भारतीय सेना का यह कदम सीमावर्ती क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्त बनाने और उनकी सामाजिक स्थिति को मजबूत करने की दिशा में एक अनुकरणीय प्रयास है।