एक बार फिर से भूकंप के तेज झटके से हिला जापान, सुनामी की चेतावनी नहीं, अब तक 161 लोगों की मौत

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जापान में फिर से भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। मध्य जापान में मंगलवार को 6.0 तीव्रता का भूकंप आया, लेकिन अभी तक सुनामी की कोई चेतावनी जारी नहीं की गई है। जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने कहा कि भूकंप जापान सागर के तट पर आया, जिससे देश का वही हिस्सा हिल गया जहां 1 जनवरी को एक शक्तिशाली भूकंप ने मध्य जापान के हिस्सों को तबाह कर दिया था। भूकंप के झटकों ने व्यापक विनाश किया और मरने वालों की संख्या 200 से अधिक हो गई। अधिकारियों ने कहा कि 100 का अभी भी पता नहीं चल पाया है।

भूकंप में अब तक 161 लोगों की मौत

इस साल के पहले ही दिन जापान में खतरनाक भूकंप आया था। 7.6 तीव्रता वाले भूकंप ने देशभर में तबाही मचाई। सुनामी को लेकर चेतावनी जारी की गई। साथ ही आने वाले वक्त में और भूकंप आने की आशंका जताई गई थी। एक जनवरी को आए भूकंप में अब तक 161 लोगों की मौत हो चुकी है। सैंकड़ों दुकान-मकान क्षतिग्रस्त हो गए। एक जनवरी को आए भूकंप के बाद कई घरों में बिजली की संकट पैदा हो गई है। जापान के इशिकावा प्रांत के निवासियों को बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है। अनामिज़ू में 1,900 घरों में बिजली नहीं थी और इशिकावा प्रांत में लगभग 20,000 घरों में बिजली नहीं है। टेलीफोन सेवा भी ठप्प है।

नोतो प्रायद्वीप में भूस्खलन के खतरे की चेतावनी

जापान के पश्चिमी तट पर एक सप्ताह पहले आए भूकंप की वजह से रातोंरात बेघर हुए हजारों लोग थकान और अनिश्चितता की स्थिति में जी रहे हैं। 7.6 तीव्रता वाले भूकंप के बाद बचाव प्रयास में हजारों सैनिक, दमकलकर्मी और पुलिस कर्मी शामिल हैं, जिन्होंने सोमवार को मलबे में लोगों की तलाश की। प्राधिकारियों ने इशिकावा प्रांत में नोतो प्रायद्वीप में भूस्खलन के खतरे की चेतावनी दी है, जहां भूकंप आए थे। बर्फबारी से यह खतरा बढ़ गया है।

भूकंप के बाद करीब 30,000 लोग बेघर हुए

भूकंप में मरने वाले लोगों में से 70 की मौत वाजिमा, 70 की सुजु, 11 की अनामिजु और बाकी लोगों की मौत चार शहरों में हुई। कम से कम 103 लोग अभी लापता हैं, 565 घायल हैं और 1,390 मकान ध्वस्त हो गए हैं या काफी हद तक क्षतिग्रस्त हो गए हैं। भूकंप के बाद करीब 30,000 लोग स्कूलों, सभागारों और अन्य बचाव केंद्रों में रह रहे हैं और उन्हें कोविड-19 संक्रमण के मामले और अन्य बीमारियां होने की चिंता है। आश्रय गृहों में लोग अब भी ठंडे फर्श पर सोने को मजबूर हैं। कई लोग थकान और चिंता से त्रस्त हैं और कई शोकाकुल हैं।

Kumar Aditya: Anything which intefares with my social life is no. More than ten years experience in web news blogging.
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