जय बजरंगबली बुजुर्ग की मौत पर अर्थी से लिपटकर रोया बंदर, अंतिम संस्कार तक साथ गया
अमरोहा: कहते हैं कि जानवर को अगर दो वक्त की रोटी दे दो तो वह आपसे इंसानों से ज्यादा प्रेम करने लगते हैं। जानवरों के इंसान से प्रेम के समय समय पर किस्से सुनने को मिलते रहते हैं। ऐसा ही एक और उदाहरण सामने आया उत्तर प्रदेश के अमरोहा से जहां एक बुजुर्ग की मौत पर एक बंदर ने ऐसा शोक मनाया कि पूरे इलाके में चर्चे होने लगे। बताया जा रहा है कि मृतक बुजुर्ग इस बंदर को दो वक्त की रोटी खिलाया करता था। अचानक से एक दिन बूढ़े शख्स की मौत हो गई। इसके बाद बंदर बुजुर्ग की अर्थी के पास सारा दिन बैठा रहा।
अर्थी से लिपटकर श्मशान घाट तक गया
दो वक्त की रोटी देने वाले व्यक्ति से एक बंदर का लगाव इतना बढ़ गया कि उनके निधन के बाद वह बुरी तरह शोक में रहा। बंदर ना सिर्फ बुजुर्ग की अर्थी के पास दिनभर बैठा रहा, बल्कि अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट तक साथ गया। लोगों ने बताया कि गमगीन बंदर वाहन में रखी बुजुर्ग की अर्थी से लिपट कर जोया से तिगरी धाम तक गया। बंदर के इस प्रेम को देखकर बुजुर्ग के परिजन और आसपास के लोग भी हैरान रह गए।
अंतिम संस्कार चिता के पास ही रहा
ये घटना अमरोहा जिले के कस्बा जोया के मोहल्ला जाटव कालोनी का है। यहां रामकुंवर सिंह नाम के एक बुजुर्ग की मौत हो गई। रामकुंवर के पास बीते दो महीने से एक बंदर आकर बैठ जाता था। रामकुंवर सिंह उसे खाने के लिए रोटी दे देते थे। इसी तरह बंदर का उनके रोज का आना-जाना हो गया। हर रोज बंदर रामकुंवर के पास आकर बैठ जाता और वह उसे खाना दे देते थे। खाने के अलावा बंदर उनके साथ खेलता भी रहता था। लेकिन मंगलवार सुबह अचानक रामकुंवर का देहांत हो गया। फिर उस बंदर ने अपने दोस्त रामकुंवर की मौत पर जैसा दुख मनाया, वो किसी से देखा ना गया। बंदर सारा दिन उनकी अर्थी के पास बैठा रहा। परिजनों ने जब तिगरी धाम ले जाने के लिए बुजुर्ग की अर्थी डीसीएम में रखी तो बंदर भी डीसीएम में जा बैठा। जोया से तिगरी धाम तक वह अर्थी से लिपटा रहा। अंतिम संस्कार होने तक बंदर चिता के पास ही मौजूद रहा।
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