JDU नेता का बड़ा बयान, कहा- उत्तर प्रदेश में कुछ सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ सकती है नीतीश की पार्टी

GridArt 20231031 124513712GridArt 20231031 124513712

लोकसभा को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है. ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी हो सकता है कुछ सीटों से यूपी में भी चुनाव लड़े. सोमवार (30 अक्टूबर) को एबीपी न्यूज़ के एक कार्यक्रम में जेडीयू नेता और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद (JDU Rajiv Ranjan Prasad) ने बड़ा बयान दिया. कहा कि उत्तर प्रदेश में 80 संसदीय क्षेत्र हैं तो सभी लोगों (महागठबंधन में शामिल पार्टियां) से मिलकर यह तय किया जाएगा कि क्या करना है. कुछ सीटों पर अगर बात बनी तो जेडीयू उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ सकती है.

राजीव रंजन ने कहा, “कोई भी पार्टी अपने राष्ट्रीय विस्तार के लिए किसी भी राज्य में अपने संगठन का विस्तार करती है. मैं असम का प्रभारी भी हूं और वहां के जेडीयू कार्यकर्ता भी कुछ सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. तो यह एक संगठन विस्तार की प्रक्रिया है इसमें उत्तर प्रदेश भी शामिल है. उत्तर प्रदेश में कुछ भी तय होगा तो वहां की सबसे प्रभावशाली पार्टी समाजवादी पार्टी है जो इंडिया गठबंधन में शामिल है. कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है. सभी राज्यों में उसका प्रभाव है. उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस का प्रभाव है. तो यह सभी से मिलकर तय किया जाएगा.”

बीजेपी को इंडिया नाम से लगने लगा डर

जेडीयू नेता ने कार्यक्रम में ही आगे कहा कि महागठबंधन की सरकार बनने के साथ ही नीतीश कुमार सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने में जुट गए थे. इसका असर हुआ कि पटना से मुंबई तक बैठक हुई. इसमें वैसी पार्टी भी एकजुट हो गई जिनकी सहमति नहीं बन रही थी. कुछ विसंगतिया थीं, लेकिन सभी लोग साथ हो गए और इसका असर भी दिखा कि बीजेपी को ‘इंडिया’ नाम से डर लगने लगा. उन्होंने कहा कि जहां तक बात नीतीश कुमार के संयोजक बनने की है तो उन्होंने संयोजक बनने की इच्छा कभी नहीं जताई है.

जेडीयू के जवाब पर बीजेपी ने किया पलटवार

इधर, राजीव रंजन के बयान पर बीजेपी ने भी हमला किया है. बीजेपी प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि जेडीयू प्रवक्ता के बयान से उनका दर्द झलक रहा है. राजीव रंजन कहते हैं नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन में संयोजक नहीं बनना चाहते हैं, यह हास्यास्पद है. कांग्रेस नीतीश कुमार पर भरोसा नहीं करती है. कांग्रेस के मुखर विरोध के कारण वे संयोजक नहीं बने. कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टियों को बढ़ते देखना नहीं चाहती है. इसका उदाहरण है कि मध्य प्रदेश के चुनाव में जेडीयू कांग्रेस के पास गई, लेकिन कांग्रेस ने भाव नहीं दिया तो जेडीयू अकेले मध्य प्रदेश में चुनाव लड़ रही है. प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि घमंडिया गठबंधन के नेताओं के अक्ल पर पर्दा पड़ा हुआ है. उन्हें वास्तविकता नहीं दिख रही है, लेकिन राजीव रंजन का दर्द झलकना भी जायज है क्योंकि उनके नेता से दिल्ली दूर हो गई और उनका सपना चकनाचूर हो गया.

Kumar Aditya: Anything which intefares with my social life is no. More than ten years experience in web news blogging.
Related Post
whatsapp