बिहार में इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर जदयू ने उम्मीद जतायी है कि जल्द ही बिहार में इंडिया गठबंधन के बीच सीटों का बंटवारा हो जायेगा। पार्टी ने संकेत दिया है कि बिहार में उसके पास लोकसभा की 16 सीटें हैं और इससे कम सीटें उसे स्वीकार नहीं होगी। वो इससे एक अधिक सीट पर चुनाव लड़ सकती है लेकिन सीटिंग से समझौता नहीं कर सकती है। जदयू के नेता और नीतीश के बेहद करीबी माने जाने वाले नेता विजय चौधरी ने कहा है कि- लोकसभा में हमारे 16 सांसद हैं। परंपरा है और आम सहमति भी बन रही है कि सीटिंग सांसद वाली सीटें विजयी पार्टी के पास रहेंगी। इससे पार्टी एक सीट बढ़ सकती है लेकिन कम नहीं सकती है। इसके आलावा सीट बंटवारा में हो रही देरी पर भी नाराजगी जाहिर की है।
विजय चौधरी ने कहा है कि – हम लोग तो शुरू से ही चाहते हैं कि सीटों का बंटवारा जल्द से जल्द कर लिया जाए। सीटों का बंटवारा जितना जल्दी हो जाएगा उतना ही फायदा गठबंधन को होगा देर होने पर समस्या हो सकती है।
रही बात सीटों के बंटवारे को लेकर तो पहली बैठक में ही हम लोगों की यह मांग थी उसी समय सीटों का बंटवारा का फॉर्मूला तय किया जाए। किसी भी गठबंधन के लिए सबसे सफल नतीजा सीटों का बंटवारा ही होता है। ऐसे में इसमें देरी हो रही है तो फिर तकलीफ उठानी पड़ेगी। इसलिए उसी समय इस पर लग जाना चाहिए था इसमें जितना देर होगा उतना अधिक नुकसान उठाना पड़ेगा। हम तो शुरू से ही कह रहे हैं कि जितना जल्दी यह सब चीज हो जाता उतना अच्छा होता आज के डेट में भी हम यह चाह रहे हैं की सीटों का बंटवारा जल्द से जल्द कर लिया जाए।
वहीं, सूचना एवं जनसंपर्क सह जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने इस माह के अंत तक इंडिया गठबंधन में देश की अधिकांश सीटों पर सीट शेयरिंग हो जाने की उम्मीद जतायी है। जदयू मुख्यालय में शुक्रवार को संवाददाताओं से बातचीत में झा ने कहा कि बिहार में सीट शेयरिंग में कोई समस्या नहीं है। यहां कांग्रेस और राजद नेताओं के बीच बातचीत होनी है, इसके बाद राजद और जदयू नेताओं के बीच बातचीत होगी। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि यहां महागठबंधन 40 सीट पर जीत हासिल करे। लेकिन हम अपनी सीट पर चुनाव लड़ेंगे इसमें कहीं कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।
उधर, जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि हमारी पार्टी के नेता नीतीश कुमार ने बार-बार यह कहा है कि हम किसी पद के इच्छुक नहीं हैं। स्वाभाविक रूप से क्या हम आवेदन देने गये थे या विज्ञापन दिये हैं क्या? संयोजक का पद कौन स्वीकार कर रहा है और कौन स्वीकार नहीं कर रहा है। इंडिया गठबंधन हमने बनाया, इसने देश में आकार लिया. अब कोई संयोजक और कोई प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बना देता है, इसका कोई औचित्य नहीं है।