जीविका दीदियों को मिला नया टास्क, अब पुलिस और स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के लिए करेंगी ये काम
बिहार में जीविका दीदियों को नया काम मिला है। अब वे पुलिस और स्कूल के बच्चों के लिए वर्दी तैयार करेंगी। पायलट प्रोजेक्ट के तहत जीविका दीदियों द्वारा वर्दी बनाई जाएगी। मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा ने जीविका दीदियों के बैग क्लस्टर और लेदर क्लस्टर का निरीक्षण किया और आवासीय छात्रवास के निर्माण का निर्देश दिया। तिरहुत ब्रांड को आइपीओ के रूप में विकसित करने की योजना है।
जीविका दीदी के हाथ से तैयार वर्दी को जवान व स्कूल ड्रेस पहनकर बच्चे स्कूल जाएंगे। पायलट फेज में जीविका दीदी द्वारा इन्हें यहां बनवाया जाएगा। यह एक नया माडल होगा। ये बातें मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा ने बेला औद्योगिक क्षेत्र स्थित जीविका दीदियों की ओर से संचालित बैग क्लस्टर व लेदर क्लस्टर के निरीक्षण के दौरान कहीं।
परिसर में महिला कामगार व उद्यमी के रहने के लिए आवासीय छात्रवास का निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए टीम में शामिल निदेशक आलोक रंजन घोष को टास्क दिया। बताया कि अब तिरहुत ब्रांड को आइपीओ के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए दो साल की समय सीमा तय की गई है। मोतीपुर स्थित मेगा फूड पार्क, बेला इंडस्ट्रियल एरिया स्थित बैग क्लस्टर, टेक्स्टाइल क्लस्टर तथा जीविका की रसोई का निरीक्षण किया।
बता दें कि इसी साल सितंबर में बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने ‘जीविका दीदियों’ के लिए सौगात दी थी। सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए पहली किस्त के तौर पर करीब सवा 500 करोड़ रुपये जारी किए थे। ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने इसे लेकर कहा था कि इसेस ग्रामीण इलाकों में जीविका दीदियों के हजारों स्वयं सहायता समूहों को लाभ मिलेगा।
बता दें कि इस आजीविका मिशन के लिए केंद्र सरकर ने 3 अरब से ज्यादा रुपये और राज्य सरकार ने 2 अरब से ज्यादा रुपये आवंटित किए हैं। इस तरह से इस योजना के लिए केंद्र और राज्य का अंशदान 60:40 के अनुपात में है।
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