बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर अक्सर सवाल उठाए जाते रहे हैं. कभी स्कूलों में शिक्षकों की कमी तो कभी पढ़ाई की गुणवत्ता को लेकर बिहार के एजुकेशन सिस्टम को कटघरे में खड़ा किया जाता है. लेकिन इन दिनों बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में काफी काम हो रहा है. शिक्षकों की बहाली हो रही है. वहीं लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों पर एक्शन भी लिया जा रहा है. इसके पीछे का कारण शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की सख्ती को माना जा रहा है. ऐसे में जीतन राम मांझी ने उनसे बड़ी मांग की है।
वैसे तो के के पाठक साहब शिक्षा के दिशा में अद्वितीय काम कर रहें हैं।
पर यदि वह एक काम और कर दें तो शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार हो जाएगा।
“मुख्य सचिव का बच्चा हो या चपरासी का,विधायक का बच्चा हो या मंत्री का,सरकार से वेतन उठाने वालों के बच्चे सरकारी स्कुल में ही पढेगें।”— Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) January 4, 2024
जीतन राम मांझी की केके पाठक से मांग
जब से केके पाठक को शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी मिली है वे ताबड़तोड़ फैसले ले रहे हैं. ऐसे में बिहार के पूर्व सीएम और हम पार्टी के संरक्षक जीतन राम मांझी ने गुरुवार को सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा है कि ‘वैसे तो केके पाठक साहब शिक्षा के दिशा में अद्वितीय काम कर रहें हैं. पर यदि वह एक काम और कर दें तो शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार हो जाएगा. मुख्य सचिव का बच्चा हो या चपरासी का, विधायक का बच्चा हो या मंत्री का, सरकार से वेतन उठाने वालों के बच्चे सरकारी स्कूल में ही पढ़ेंगे।
पहले भी उठ चुकी है मांग
बता दें कि यह बात अक्सर उठती है कि अगर सरकार स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था अच्छी है तो वहां अफसर, विधायक और मंत्री के बच्चे क्यों नहीं पढ़ते हैं? कई बार इस तरह के बयान पहले भी सामने आ चुके हैं. विधायक, मंत्री और सरकारी कर्मचारियों के बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने की मांग की जाती रही है. अब मांझी ने इस तरह की मांग कर के पुराने मुद्दे को फिर से छेड़ दिया है।
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