राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने से इनकार करने वाले जज को गुजरात से पटना भेजा गया, SC कॉलेजियम की सिफारिश : सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने गुरुवार को एक बड़ा फेरबदल करते हुए 23 उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के तबादले की सिफारिश की। इनमें पंजाब और हरियाणा, इलाहाबाद, गुजरात और तेलंगाना के उच्च न्यायालयों से चार-चार न्यायाधीश शामिल हैं। इन तबादलों में गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति हेमंत एम प्रच्छक का भी नाम शामिल है। न्यायमूर्ति हेमंत एम प्रच्छक वही न्यायाधीश हैं, जिन्होंने मोदी सर नेम मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इस केस में राहुल गांधी ने न्यायालय से सजा पर रोक लगाने की अपील की थी। न्यायमूर्ति हेमंत एम प्रच्छक को गुजरात उच्च न्यायालय से पटना उच्च न्यायालय भेजा गया है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाले कॉलेजियम ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय से न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान को इलाहाबाद, न्यायमूर्ति अवनीश झिंगन को गुजरात, न्यायमूर्ति राज मोहन सिंह को मध्य प्रदेश और न्यायमूर्ति अरुण मोंगा को राजस्थान भेजने की सिफारिश की।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय से न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह को मद्रास उच्च न्यायालय, न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया को झारखंड, न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी को कलकत्ता और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार-IV को मध्य प्रदेश तबादला करने की सिफारिश की गई है। गुजरात हाई कोर्ट से जस्टिस अल्पेश वाई कोग्जे को इलाहाबाद भेजने की सिफारिश की गई है. जस्टिस कुमारी गीता गोपी मद्रास, जस्टिस हेमंत एम प्रच्छक पटना और जस्टिस समीर जे दवे राजस्थान जाएंगे।
तेलंगाना उच्च न्यायालय से न्यायमूर्ति जी अनुपमा चक्रवर्ती, न्यायमूर्ति मुन्नूरी लक्ष्मण, न्यायमूर्ति एम सुधीर कुमार और न्यायमूर्ति सी सुमलता को क्रमशः पटना, राजस्थान, मद्रास और कर्नाटक उच्च न्यायालय तबादला करने की सिफारिश की गई है। कॉलेजियम में जस्टिस एसके कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत भी शामिल थे। कॉलेजियम ने 3 अगस्त को बैठक कर जस्टिस एम सुधीर कुमार को कलकत्ता और जस्टिस सुमलता को गुजरात तबादला करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन उनकी सिफारिशों पर विचार करने के बाद उन्हें क्रमशः मद्रास और कर्नाटक में भेजने का फैसला लिया गया।
कॉलेजियम ने जस्टिस शेखर बी सराफ, लपिता बनर्जी और बिबेक चौधरी को कलकत्ता उच्च न्यायालय से क्रमशः इलाहाबाद, पंजाब और हरियाणा और पटना उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की भी सिफारिश की।