कैलाशपति मिश्र ने सींचा भाजपा का वृक्ष तब बिहार में खड़ी हुई भारतीय जनता पार्टी, “हर भाजपा कार्यकर्ता कैलाशपति मिश्र का ऋणी है”- इंदु भूषण झा
1980 में जनसंघ से भाजपा अलग हुई। उस वक्त भाजपा में ज्यादातर नेता जनसंघ के थे। पार्टी राष्ट्रीय स्वयं सेवक की पद्धति पर ही चलती थी। उस वक्त कैलाशपति मिश्र वो नेता थे, जिन्होंने बिहार में भाजपा का बीज बोया। कैलाशपाति मिश्र तब बड़े नेताओं में जाने जाते थे, वो गांव-गांव, खेत-खेत रिक्शे से ही चला करते थे। जिस भाजपा को आज बिहार और पूरे भारत के लोग विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में देखती है। उस भाजपा को बिहार में कैलाशपति मिश्र ने वृक्ष बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कभी किसी कार्यकर्ता से दूरियां नहीं रखीं। कई दिनों तक पैदल घूमकर लोगों को पार्टी से जोड़ा। कार्यकर्ताओं के घर रुक कर उनके परिवारों से घुल मिलकर संगठन को मजबूत बनाने का काम किया। भारतीय जनता पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता श्रद्धेय कैलाशपति मिश्र के योगदान के ऋण से कभी विमुक्त नहीं हो सकता है। भागलपुर लोकसभा संयोजक सोशल मीडिया सह भागलपुर जिला प्रवक्ता इंदु भूषण झा ने बताया कि श्रद्धेय कैलाशपति मिश्र भारतीय जनता पार्टी ही नहीं जनसंघ के संस्थापक नेताओं में एक रहे हैं। बिहार में जनसंघ की सफलता और भारतीय जनता पार्टी के वटवृक्ष को लगाने में उनकी सर्वाधिक भूमिका रही है।
वे गुजरात के पूर्व राज्यपाल थे, तथा कुछ समय के लिए राजस्थान के भी राज्यपाल रहे।
बिहार भाजपा के दधीचि और भीष्म पितामह जैसे उपनामों से संबोधित किए जाने वाले श्रद्धेय कैलाशपति मिश्र भाजपा के सबसे प्रेरणादायी लोगों में से एक रहे हैं। आज उनकी पुण्य तिथि पर उन्हें कोटि कोटि नमन करता हूं।