दरभंगाः कुवैत में एक रिहायशी इमारत में आग लगने से 40 भारतीय कामगार की मौत हो गई थी. 40 मृतकों में एक बिहार के दरभंगा का भी युवक शामिल है. जिले के नैनाघाट गांव निवासी मदीना खातून का बड़ा बेटा कालू खान भी इस अग्निकांड का शिकार हो गया था. जिसका शव 14 दिन बाद घर पंहुचा।
जुलाई में होनी थी शादीः दरभंगा के नैनाघाट गांव शव पहुंचते ही कोहराम मच गया. परिजनों के अनुसार कालू खान की जुलाई में शादी होनी थी. इसके लिए वह भारत आने वाला था. निकाह के लिए वह भारत आता उससे पहले कालू का जनाजा आ गया. इस घटना से गांव के लोग भी शोक में हैं।
मुआवजे और नौकरी की मांगः ग्रामीण पप्पू खान ने कहा कि मोदी सरकार की एंबेसी पूरी तरीके से फेल दिख रही है. इतनी बड़ी घटना होती है और 14 दिन के बाद मृतक का शव उसके पैतृक गांव नैनाघाट पहुंचता है. यह काफी अफसोस की बात है. हमलोग सरकार से मांग करते हैं कि पीड़ित परिवार को एक सरकारी नौकरी और 20 लाख रुपया मुआवजा मिले. ताकि परिवार का भरण पोषण हो सके।
“घटना के 14 दिनों के बाद कालू खान के शव को लाया गया. इससे स्पष्ट है कि मोदी सरकार की एंबेसी पूरी तरह फेल है. हमलोग परिवार के किसी सदस्य को एक सरकारी नौकरी और 20 लाख रुपए की मांग करते हैं.” -पप्पू खान, ग्रामीण
घर में इकलौता कमाने वाला थाः उन्होंने कहा कि जिस वक्त कालू का शव पहुंचा उस वक्त लोकल थाना के एक अधिकारी और श्रम अधिकारी मौजूद थे. बताते चले कि कालू अपने तीन भाई में मझला भाई था. उसकी तीन बहन थी जिसमें से एक की पहले ही मौत हो गई थी. उसके बेटे का भी देखभाल वही करता था. घर में कालू इकलौता कमाने वाला था जिससे घर का भरण पोषण होता था।
सुपर मार्केट में काम करता था कालूः अगस्त 2022 में वह आखरी बार गांव आया था. उसके पिता इस्लाम की भी मृत्यु 2011 में हो चुकी है. कालू लंबे समय से कुवैत में रहकर काम कर रहा है. वहां पर सुपर मार्केट में सेल्समैन का काम करता था. जिसके कंपनी का नाम एनबीटीसी था. 14 दिन पूर्व एक रिहायशी इलाके में आग लगने की घटना में कालू खान की मौत हो गयी।