हिंदू धर्म में पूर्णिमा के व्रत का महत्वपूर्ण स्थान है। वैसे हर साल 12 पूर्णिमा होती हैं, लेकिन माना जाता है कि अधिकमास या मलमास में पूर्णिमा की संख्या बढ़कर 13 हो जाती है। कार्तिक पूर्णिमा को गङ्गा स्नान या त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। आज सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर देव दीपावली का पर्व भी मनाया जा रहा है। माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर मक राक्षस का वध किया था। इसी खुशी में दीपोत्सव मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर आप मां महालक्ष्मी और विष्णुजी की पूजा कर धनवान और निरोगी बन सकते हैं।
स्नान कर सूर्य को अर्घ्य दें
कार्तिक पूर्णिमा के दिन पूजा करने के लिए कुछ विधि-विधान बताए गए हैं। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए आप कार्तिक पूर्णिमा के दिन सबसे पहले स्नान कर सूर्य को अर्घ्य दें। इसके बाद तुलसी के पौधे की जड़ में थोड़ा सा गाय का दूध अर्पित करें। फिर दीपक जलाकर तुलसी के पौधे पर आरती करें।
ईशान कोण में चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं
अब भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने के लिए अपने घर की उत्तर पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर उसे चारों ओर से कलावे से बांध दें। चौकी के चारों ओर पांच केले के पत्ते लगा दें। इसे इस तरह से लगाएं कि यह एक मंडप का आकार बन जाए।
श्री हरिविष्णु और मां लक्ष्मी जी की प्रतिमा स्थापित कर गंगाजल से शुद्ध करें
इसके बाद चौकी पर रंगा हुआ चावल रखकर या अष्टदल कमल बनाकर उस पर भगवान श्री हरिविष्णु और मां लक्ष्मी जी की प्रतिमा स्थापित कर गंगाजल से शुद्ध करें। प्रतिमा न हो तो चित्र भी स्थापित कर सकते हैं। इसके बाद देव प्रतिमा के सामने अक्षत की ढेरी पर कलश स्थापित कर दें।
इसके बाद इस कलश पर मौली बांधें। इसमें गंगाजल, सुपारी, सिक्का, हल्दी और कुमकुम डालें। फिर कलश की प्रार्थना करें। वहीं मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को लगाए जाने वाले भोग में तुलसी का पत्ता जरूर डालें। पूरे दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करें। इसके साथ ही मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप, श्री सूक्त और कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें, पूरे दिन धर्ममय होकर प्रभु की शरण में प्रार्थना करें।
शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दें
फिर घी का दीपक जलाकर कार्तिक पूर्णिमा की कथा अवश्य पढ़ें। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती कीजिए। शाम के समय जल या कच्चे दूध से चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपनी पूजा संपन्न कर सकते हैं। इस पूजा से आपके कष्ट दूर होंगे और धन धान्य से परिपूर्ण होंगे।
स्नान और दान करने से यज्ञ बराबर फल
कार्तिक पूर्णिमा की तिथि की शुरुआत 26 नवंबर, रविवार दोपहर 3:53 से हो चुकी है। समापन 27 नवंबर, शुक्रवार दोपहर 2:45 पर होगा। उदया तिथि के मुताबिक, इस साल 27 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाएगी। कार्तिक पूर्णिमा के दिन नदी में स्नान और जरूरतमंदों को दान करने से यज्ञ बराबर फल मिलता है।