कावेरी नदी के जल को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच जारी विवाद पर अब कावेरी जल विनियमन समिति (CWRC) का अहम बयान सामने आया है। समिति ने कर्नाटक सरकार को अगले 15 दिनों तक (15 नवंबर तक) हर दिन तमिलनाडु की ओर 2,600 क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्देश दिया है। नई दिल्ली में हुई इस बैठक में कर्नाटक से कहा गया कि बिलिगुंडलू में अगले 15 दिनों कर पानी का प्रवाह 2600 क्यूसेक बना रहे।
तमिलनाडु ने इतना पानी मांगा
बैठक में तमिलनाडु सरकार ने अपने कर्नाटक समकक्ष से अगले 15 दिनों तक हर दिन 13,000 क्यूसेक पानी देने की मांग की थी। बता दें कि कर्नाटक पिछले 15 दिनों से हर रोज 3,000 क्यूसेक पानी छोड़ रहा है। तमिलनाडु विधानसभा ने बीते 9 अक्टूबर को एक प्रस्ताव पारित कर के केंद्र सरकार से कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण के आदेशों के अनुसार कर्नाटक को कावेरी जल छोड़ने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था।
कर्नाटक का तर्क
कर्नाटक सरकार ने तमिलनाडु को पानी की आपूर्ति से इनकार करने के लिए अपने राज्य के कुछ हिस्सों में गंभीर सूखे का हवाला दिया है। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने 5 अक्टूबर को कहा था कि कर्नाटक के कावेरी बेसिन में जलाशयों में पानी का संचयी प्रवाह कम हो रहा है। कर्नाटक सरकार ने समिति के समक्ष कहा कि राज्य के चार जलाशयों में लगभग शून्य प्रवाह है।
पुराना है विवाद
कावेरी नदी का उद्गम स्थल कर्नाटक में है। बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले ये नदी तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी से होकर गुजरती है। कर्नाटक और तमिलनाडु काफी समय से नदी के पानी के बंटवारे को लेकर विवाद कर रहे हैं। इस विवाद के हल के लिए केंद्र सरकार ने साल 1990 में कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण (CWDT) का गठन किया था।