‘विराट’ फॉर्म हासिल करने में अभी Sachin Tendulkar से काफी पीछे King कोहली, जानिए कैसे?

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विराट कोहली ने आखिरकार वो मुकाम हासिल कर ही लिया, जिसका लंबे अरसे से इंतजार किया जा रहा था। रविवार को वनडे क्रिकेट में कोहली ने सबसे ज्यादा शतक बनाने के रिकॉर्ड की बराबरी की। बेशक विराट कोहली ने बेहद कम पारियों में अपने आदर्श सचिन तेंदुलकर के 49 शतकों के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली हो, मगर असल में वनडे क्रिकेट में नंबर-1 बनने के लिए शायद अभी इंतजार करना होगा। ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि अभी भी वनडे क्रिकेट में सचिन के नाम कई ऐसे कीर्तिमान हैं, जहां तक पहुंचना असंभव-सा लगता है। आइए कुछ अहम फैक्टर्स की बात करते हैं, जिन्हें देखेंगे तो विराट और सचिन की तुलना करना अभी बेईमानी लगेगा।

दरअसल, विराट और सचित दोनों की तुलना इसलिए भी वाजिब नहीं, क्योंकि यह दोनों अलग-अलग दौर के खिलाड़ी रहे हैं। इन दोनों अलग-अलग दौर में पिचों के मिजाज, रिव्यू सिस्टम और बल्लेबाजों के लिए सुरक्षा तकनीकों आदि में बदलाव हुआ है। इसमें कोई शक नहीं कि पहले के मुकाबले अब क्रिकेट बल्लेबाजों के लिए ज्यादा मददगार नजर आता है। सचिन तेंदुलकर से 174 पारियां कम खेलते हुए विराट यहां तक पहुंच गए। खास बात यह भी है क‍ि वनडे क्रिकेट में उनका बल्लेबाजी औसत और स्ट्राइक रेट भी सचिन से बेहतर रहा है। हालांकि इन सबके बावजूद अभी उन्हें वनडे किंग कहना जल्दबाजी होगी।

4800 रनों का फासला निपटाना आसान नहीं

सचिन ने अपने वनडे करियर में 18426 रन बनाए हैं। विराट के खाते में अभी 13626 रन हैं, यानी विराट अभी सचिन से 4800 रन पीछे हैं। यह छोटा-मोटा फासला नहीं है। कई अच्छे बल्लेबाज अपने पूरे करियर में भी इतने रन नहीं बना पाते हैं। वैसे विराट जिस तरह की फॉर्म में हैं, उसे देखते हुए यह फासला तय करने में ज्‍यादा समय नहीं लगता। वैसे वनडे में ज्यादा रन का रिकॉर्ड सचिन के ही नाम रहने वाला है।

सबसे ज्यादा बड़ी पारियां खेलने में सचिन आगे

विराट कोहली ने अब तक अपने करियर में कुल 119 बार 50 से ज्यादा रन की पारियां (49 शतक+70 अर्धशतक) खेली हैं। वहीं सचिन इस मामले में 145 (49 शतक+96 अर्धशतक) पारियां खेल चुके हैं, यानी विराट को सबसे ज्यादा बड़ी पारियां खेलने में सचिन को पीछे छोड़ने के लिए अभी भी 27 शतकों या अर्धशतकों की जरूरत होगी। यह आंकड़ा भी छूने के लिए कम से कम 4 से 5 साल लगना तय है।

18 बार चूके सचिन, विराट ने भी 7 मौके गंवाए

सचिन तेंदुलकर अपने वनडे करियर में कुल 18 बार 90 प्लस के स्कोर पर आउट हुए। वह सबसे ज्यादा बार नर्वस नाइंटीज का शिकार हुए हैं। अगर इनमें से आधे मौकों पर भी सचिन अपनी 90 प्लस की पारियों को शतक में बदल देते तो भी वह शतकों के मामले में विराट से काफी आगे होते। वैसे विराट कोहली भी अब तक 7 बार 90 प्लस के स्कोर पर आउट हुए हैं।

अंपायर के गलत फैसलों का हो चुके शिकार

सचिन तेंदुलकर सबसे ज्यादा बार अंपायर के गलत फैसलों के चलते आउट हुए। इसका बड़ा कारण यह है कि सचिन के दौर में रिव्यू लेने की व्यवस्था नहीं थी। पाक के पूर्व क्रिकेटर शोएब अख्तर यहां तक कह चुके हैं कि अगर सचिन के जमाने में रिव्यू का सिस्टम होता तो शायद सचिन वनडे में भी 100 शतक जड़ सकते थे। विराट कोहली जब से क्रिकेट खेल रहे हैं, तब से ही DRS व्यवस्था रही है।

2007 के बाद से बैटिंग पिच को बढ़ावा मिला

सचिन तेंदुलकर उस दौर में क्रिकेट खेलते थे, जब पिचों से बल्लेबाजी और गेंदबाजी को बराबर मदद मिलती थी। यह भी कहा जा सकता है कि बहुत हद तक गेंदबाज हावी होते थे। टी-20 वर्ल्ड कप 2007 जीतने के बाद देखा गया कि दर्शकों को चौके-छक्के देखने में ज्यादा मजा आता है और टी-20 की लोकप्रियता बढ़ रही है तो वनडे क्रिकेट में बैटिंग पिच तैयार करने को बढ़ावा मिला।

हेलमेट सुरक्षा का एक बड़ा मज‍बूत फैक्टर!

आज से 15 साल पहले तक बल्लेबाजों के पास फुल हेलमेट तक नहीं होते थे। ऐसे में बल्लेबाज सतर्कता के साथ शॉट खेलते थे। क्रिकेट एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि आज के दौर में तेज गेंदबाजों का सामना करने में बल्लेबाज डरते नहीं हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि वह पूरी तरह से सुरक्षित हैं, जबकि बीते दौर में बल्लेबाजों को बॉल हिट करने में सबसे ज्यादा डर यह सताता कि कहीं बॉल उनके सिर या जबड़े को न तोड़ दे।

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