केके पाठक ने रिटायरमेंट के बाद लगाई ‘आर्थिक लाभ’ पर रोक, बिहार के इन शिक्षकों को बड़ा झटका
बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने स्पष्ट कर दिया है कि मदरसा और संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों को रिटायरमेंट के बाद सामान्य सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों जैसा आर्थिक लाभ नहीं मिलेगा. मतलब साफ है कि मदरसा और संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों को सेवांत लाभ नहीं मिलेगा।
मदरसा-संस्कृत के शिक्षकों को लाभ नहीं: केके पाठक ने स्पष्ट कर दिया है कि मदरसा और संस्कृत विद्यालय पूर्ण रूप से निजी विद्यालय हैं. प्रदेश के अल्पसंख्यक विद्यालय संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 के तहत संचालित किए जाते हैं. ऐसे में संस्कृत विद्यालय और मदरसा को इसके समरूप नहीं माना जा सकता।
कोर्ट में था मामला: दरअसल बिहार राज्य मदरसा संघ ने हाईकोर्ट में एक वाद दायर किया था जिसमें 12 फरवरी 2024 को फैसला आया था. फैसले के आलोक में मदरसा संघ से मोहिबुल हक और संस्कृत विद्यालय की ओर से शोभा कांत झा ने संयुक्त रूप से शिक्षा विभाग को आवेदन दिया था. इस संबंध में शिक्षा विभाग में अपर मुख्य सचिव के पाठक ने आवेदन की सुनवाई की।
दोनों विद्यालय गैर सरकारी: सुनवाई के क्रम में दोनों वादी ने दावा किया कि विभागीय संकल्प संख्या 237 के द्वारा गैर सरकारी संस्कृत स्कूल और मदरसा के शिक्षक और कर्मियों को भी वेतन की अतिरिक्त वह सुविधाएं प्रदान की गई थी जो सरकारी विद्यालयों को उपलब्ध है. सुनवाई में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने दावे को माना. मगर यह स्पष्ट किया कि अराजकीय मान्यता प्राप्त संस्कृत विद्यालय और मदरसा निजी विद्यालय की श्रेणी में आते हैं।
सिर्फ वेतन और महंगाई भत्ता के योग्य हैं शिक्षक: सरकार ने 8 नवंबर 1990 को संकल्प में सुधार कर राज्य के मान्यता प्राप्त गैर सरकारी अल्पसंख्यक प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक और कर्मियों को ही वेतन समिति अन्य लाभ देने का निर्णय लिया था. विभागीय संकल्प संख्या 237, दिनांक 17/03/2019 के द्वारा राजकीय प्रस्वीकृत 1128 मदरसा और 531 संस्कृत विद्यालयों के कर्मियों को ही षष्टम पुनरीक्षित वेतनमान में वेतन और राज्य सरकार द्वारा महंगाई भत्ता देय था और इसके अलावा कोई अन्य लाभ देय नहीं था।
हाईकोर्ट ने सेवांत लाभ पर लगाई रोक: उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले में अराजकीय प्रस्वीकृत मदरसा और संस्कृत विद्यालय के शिक्षक और कर्मियों को सेवांत लाभ के भुगतान की अनुमति देने से इनकार किया गया था. ऐसे में मदरसा और संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों और कर्मियों के रिटायरमेंट के बाद उन्हें सामान्य सरकारी विद्यालय के शिक्षकों और कर्मियों की तरह सेवांत लाभ देय नहीं है।
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