बिहार में जातीय गणना के आंकड़े सार्वजनिक होने के बाद से इसका श्रेय लेने की होड़ मच गई है। एक तरफ जहां महागठबंधन की सरकार इसे अपनी उपलब्धि बता रही है तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी ने इसे एनडीए की सरकार का फैसला बताया है। सुशील मोदी के यह कहने पर कि जातीय गणना में आरजेडी और कांग्रेस की कोई भूमिका नहीं है और एनडीए की सरकार ने जातीय गणना का फैसला किया था, इस पर जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने जोरदार हमला बोला है।
ललन सिंह ने कहा है कि बिहार में जातीय गणना को रोकने के लिए केंद्र की सरकार और बीजेपी ने जो षडयंत्र रचे थे उन सारी बाधाओं को दूर करते हुए महागठबंधन की सरकार ने पूरा कर लिया। बिहार की सरकार न्याय के साथ विकास की बात करती है। जातीय गणना के बाद बिहार की सरकार पिछड़े और अति पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए जो भी प्रयास करना होगा जरूर करेगी।
सुशील मोदी पर हमला बोलते हुए ललन सिंह ने कहा कि दो दोमुहंवा सांप जैसे लोग हैं उनके बयान को भी हमलोग सुन रहे हैं। सुशील कुमार मोदी छपास रोग से ग्रस्त रहते हैं। सुशील मोदी कह रह हैं कि जब वे सरकार में थे तभी यह हुआ था लेकिन पूरा बिहार जान रहा है कि जब जातीय गणना के मुद्दे को लेकर पीएम मोदी से प्रतिनिधिमंडल मिलना चाह रहा था तो उन्हें मिलने में एक महीने का समय लगा, इसका मुख्य कारण था कि बीजेपी इसमें शामिल ही नहीं होना चाह रही थी।
उन्होंने कहा कि केंद्र के इनकार करने के बाद जब मुख्यमंत्री ने तय कर दिया कि कोई साथ आए या नहीं आए, बिहार सरकार अपने बूते जातीय गणना कराएगी। तब जाकर बीजेपी मजबूरी में साथ आई। बीजेपी ने जातीय गणना को रोकने के लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में साजिश रचने का काम किया। उन्होंने कहा कि सुशील मोदी को चाहिए कि वे आत्म चिंतन करें और अपने गिरेबां में झांककर देख लें। बिहार के पिछड़े और अति पिछड़ा लोगों के सामने बीजेपी का असली चेहरा उजागर हो चुका है और वह बेनकाब हो चुकी है।