55 दिनों के बाद पटना में फिर दिखा तेंदुआ, 3 साल से नहीं पकड़ पायी वन विभाग की टीम
पटनाः बिहार के पटना में तेंदुआ एक बार फिर लौट आया है. बीते 25 अक्टूबर से बिहटा स्थित वायु सेना क्षेत्र के केंद्रीय विद्यालय में पढ़ने वाले 1100 से ज्यादा बच्चों का भविष्य पर दांव पर लगा हुआ है. 55 दिन पहले वायु सेना परिसर में तेंदुआ देखा गया था. स्कूल को बंद कर दिया गया था. मामला शांत होने पर एक दिन के लिए स्कूल खुला ही था कि फिर से तेंदुआ देखा गया है. इसके बाद आनन-फानन में फिर से विद्यालय बंद करना पड़ा.
बोर्ड परीक्षा के कारण बच्चों को परेशानी
55 दिनों के बाद भी वायु सेना या स्थानीय प्रशासन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है. विद्यालय बंद होने से बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावकों की परेशानी भी बढ़ती जा रही है. अबकी बार जिन्हें 10वीं और 12वीं का बोर्ड देना है उनके अभिभावक ज्यादा परेशान है. जब से विद्यालय बंद है बच्चे ऑनलाइन क्लास कर रहे हैं. बोर्ड के पहले लिए गए प्री बोर्ड परीक्षा में अधिकांश बच्चों ने काफी औसत प्रदर्शन किया है. ऐसे में डर है कि फाइनल परीक्षा पर इसका असर पड़ेगा.
तेंदुआ के साथ जंगली सुअर का भी खौफ
विद्यालय के बाहर शुक्रवार को जंगली सूअर भी देखने को मिला. पहले से तेंदुआ से लोग भयवित हैं, ऊपर से अब सुअर के कारण भी परेशानी हो रही है. बता दें कि पूर्व में भी कई मौकों पर वायु सेना केंद्र से जंगली सुअर बाहर निकल कर आ चुके हैं. हमला कर ग्रामीणों को मौत के घाट भी उतार दिया था. अब तेंदुआ के साथ-साथ जंगली सुअर का भी खौफ दिख रहा है.
तीन साल से पकड़ नहीं आ रहा तेंदुआ
लोग बताते हैं कि कोरोना काल में ही पहली बार वायु सेना केंद्र के अंदर तेंदुआ दिखा था. 3 साल से अधिक समय गुजर चुके हैं. अभी तक एक तेंदुआ नहीं पकड़ा जा सका है. पूर्व के साल की तरह इस बार भी वन विभाग की टीम पिंजरा लगाकर तेंदुआ के स्वतः उसके अंदर आने का इंतजार कर रही है. पिंजरा लगाए जाने के बाद से तेंदुआ दो बार उसके मुंह के पास जाकर वापस लौट चुका है. अब सवाल उठ रहा है कि वन विभाग की टीम कोई दूसरी तरकीब क्यों नहीं अपना रही है.
“हमारी टीम तेंदुआ को पकड़ने में लगी हुई है. तीन दिन पहले वह फिर दिखा था. उसके बाद से उसे नहीं देखा गया है. हम पिंजड़ों की संख्या बढाने पर विचार कर रहे हैं. जल्द ही तेंदुआ को पकड़ लिया जाएगा.” –गौरव ओझा, डीएफओ पटना
वायु सेना केंद्र में जंगल ही जंगल
वायु सेना केंद्र करीब 900 एकड़ में फैला है. अधिकांश भाग में काफी पेड़-पौधे होने के कारण काफी संख्या में जंगली जानवर मौजूद हैं. जंगली सुअर, नीलगाय सहित अन्य प्रकार के जीव जंतु शामिल हैं. तेंदुआ इन्हीं जानवरों का शिकार कर अपना भोजन बनाता रहा है. लोगों की माने तो तेंदुआ के द्वारा लगातार हो रहे हमले के कारण ही उससे बचने के लिए जंगली सुअर, नीलगाय अब रिहायशी इलाकों में पहुंच रहे हैं.
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