बिहार में एनडीए की नई सरकार को 12 फरवरी को सदन में बहुमत सिद्ध करना है. इससे पहले बिहार में कई दलों के विधायक के दल बदलने की चर्चा हो रही है. पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी कहा था कि अभी ‘खेला होना’ बाकी है. इस बीच बुधवार 7 फरवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात हुई. राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने इन सवालों के जवाब में एक फिल्मी गीत गुनगुनाया. ‘पर्दे में रहने दो पर्दा, मत उठाओ…पर्दा जो उठ जाएगा भेद खुल जाएगा’
“खेल होने की संभावना अगर नहीं रहती तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भागे भागे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने दिल्ली नहीं जाते. दिल्ली जाकर वह फिर से वही बात दोहरा रहे हैं कि हम पहले भी आपके साथ थे फिर से हम आ गए हैं. हम लोगों के साथ जब आए थे तो यही कहते थे कि मर जाएंगे लेकिन एनडीए में नहीं जाएंगे.”- भाई वीरेंद्र, राजद विधायक
12 फरवरी को बहुत कुछ होने वाला है: भाई वीरेंद्र ने कहा कि पूरे बिहार में ब्यूरोक्रेट्स हावी है. अधिकारी किसी भी नेता का कुछ नहीं सुनते हैं. यही कारण है की बड़ी संख्या में जदयू के विधायक नीतीश कुमार से नाराज हैं. इसी को आधार बनाकर हम आपको कह रहे हैं कि बिहार में खेला होगा. जो नाराज विधायक हैं, वह हम लोगों के संपर्क में हैं. उनसे जब सवाल किया गया कि भाजपा के लोग और एनडीए के नेता यह कह रहे हैं कि राजद के विधायक उनके संपर्क में है तो उन्होंने कहा कि वह लोग ऐसे ही कह रहे हैं. उन्होंने दावा के साथ कहा कि विधानसभा में जो फ्लोर टेस्ट होगा उसमें बहुत कुछ होने वाला है।
राजद विधायक एकजुट हैंः भाई वीरेंद्र ने कहा कि राजद के नेता एकजुट हैं. उसे कोई नहीं तोड़ सकता है. इसके साथ ही उन्होंने जदयू में टूट की ओर इशारा किया. उनसे जब पूछा गया कि क्या वो लोग जदयू में टूट करवा रहे हैं तो उन्होंने इससे इंकार करते हुए कहा कि हमारे नेता तेजस्वी यादव लगातार बिहार में विकास का काम कर रहे हैं. नौकरी दी जा रही है, इसलिए दूसरे विधायक भी हमलोगों के साथ आना चाहते हैं।
तेजस्वी के दबाव में शिक्षक नियुक्तिः राजद विधायक ने कहा कि जनता ने देख लिया है कि 17 साल तक नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री रहे लेकिन कभी भी 50000 लोगों को भी सरकारी नौकरी एक साथ देने का काम नहीं किया. लेकिन तेजस्वी यादव ने दबाव बनाया और तब जाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षक भर्ती की परीक्षा ली. आज यही देख लीजिए कि 3 लाख से ज्यादा सरकारी शिक्षक नियुक्त किए गए हैं, यह बात बिहार की जनता बखूबी जानती है।