लिव-इन रिलेशनशिप एक खतरनाक बीमारी है। लिव-इन रिलेशनशिप जैसी बीमारी को समाज से उखाड़ फेंकना चाहिए। इसे लेकर कानून बनाने की जरूरत है। हरियाणा के भिवानी-महेंद्रगढ़ से सांसद धरमबीर सिंह ने संसद में यह मुद्दा उठाया। उन्होंने यह भी कहा कि देश में लंबे समय से अरैंज मैरिज की परंपरा रही है। माता-पिता की रजामंदी के बाद ही शादी करनी चाहिए क्योंकि लव मैरिज में तलाक की संख्या ज्यादा दिखती है।
उन्होंने कहा कि शादी को एक पवित्र रिश्ता माना जाता है। जो सात पीढ़ियों तक चलता है। लव मैरिज की बजाय अरैंज मैरिज को लोग इसलिए भी ज्यादा अहमियत देते हैं क्योंकि शादी जैसे पवित्र बंधन की पवित्रता बनी रहती है। अरैंज मैरिज में तलाक बहुत कम होते हैं जबकि लव मैरिज में इसकी संख्या ज्यादा देखने को मिलती है। उन्होंने इसे लेकर संसद में आंकड़ों को भी पेश किया।
उन्होंने कहा कि भारत में तलाक की दर 1.1 प्रतिशत है लेकिन अमेरिका में तलाक का प्रतिशत 40 है। लव मैरिज में रिश्ते ज्यादा टूटते हैं। लव मैरिज के कारण विवाद होते है। इसे लेकर होने वाले झगड़ों से परिवार भी डिस्टर्ब हो जाता है। इसलिए लव मैरिज में भी माता-पिता और दोनों परिवारों की मंजूरी जरूरी होती है।
बीजेपी सांसद ने लिव-इन रिलेशनशिप पर कहा कि इसके तहत महिला-पुरुष बिना शादी के ही साथ रहते हैं। इसके परिणाम बेहद खतरनाक होते हैं। उन्होंने इस दौरान श्रद्धा मर्डर केस की भी चर्चा की। कहा कि श्रद्धा और आफताब पूनावाला भी लिव-इन रिलेशनशिप में थे। इस तरह के रिलेशन से हमारी संस्कृति खत्म हो रही है और समाज में नफरत फैल रही है। लिव-इन रिलेशनशिप एक खतरनाक बीमारी है। लिव-इन रिलेशनशिप जैसी बीमारी को समाज से उखाड़ फेंकना चाहिए। इसे लेकर कानून बनाने की जरूरत है।