वैतरणी नदी तट पर पड़े थे प्रभु श्रीराम के चरण, अद्भुत सा नजारा

Vaitarni river jpg e1705334888432

DJLSF¸F °Fe±FÊ ¸FZÔ ¸FIYS ÀFÔIiYFÔd°F IZY A½FÀFS ´FS ½F`°FS¯Fe ³FQe ¸FZÔ AFÀ±FF IYe O¼¶FIYe »F¦FF°FZ ·FöYÜ

झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के वैतरणी नदी तट पर स्थित रामतीर्थ मंदिर में मकर संक्रांति के मौके पर भक्तों की अपार भीड़ जुटी रही। आम से लेकर खास तक यहां पहुंचे और प्रभु श्रीराम के चरणों के दर्शन किये। वहीं मंदिरों में देवी-देवताओं की पूजा कर प्रभु श्रीराम से मन्नतें मांगी और आशीर्वाद प्राप्त किया। पुरानी मान्यता है कि भगवान श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ जब 14 वर्षों के वनवास पर थे, तो उस समय यहां भी पहुंचे थे।

तीनों ने वैतरणी नदी के इस तट पर आराम किया था। इसके बाद भगवान राम ने खुद अपने हाथाें से यहां शिवलिंग की स्थापना कर शिवलिंग की पूजा की थी। कुछ दिनों तक यहां विश्राम करने के बाद भगवान राम नदी पार कर आगे की यात्रा पर निकल गये थे। कहा जाता है कि वे जाते समय अपना खड़ाऊं और पदचिह्र यहां छोड़ गये थे।

पास के देवगांव के एक देउरी को इसे लेकर जब सपना आया तो इस स्थान के बारे में लोगों को पता चला। इसके बाद स्थानीय लोगों ने इसे रामतीर्थ मंदिर का स्वरूप दे दिया। मान्यता है कि यहां जो भी लोग प्रभु श्री राम से मनोकामना मांगते हैं वह जरुर पूरी होती है। यही वजह है की यहां विशेषकर मकर संक्रांति के दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है जो पूरी श्रद्धा के साथ प्रभु श्री राम के चरणों का दर्शन करते हैं और उसकी पूजा करते हैं।

रामतीर्थ मंदिर परिसर में रामेश्वर शिव मंदिर, बजरंग बली मंदिर, सीताराम मंदिर, भगवान जगन्नाथ मंदिर भी है। यह सभी मंदिर देखने में बहुत सुंदर हैं। यहां का प्राकृतिक वातावरण मन को काफी सुकून देता है। यहां हर वर्ष मकर संक्रांति पर बहुत बड़ा मेला लगता है। यहां दूर-दूर से लोग आते हैं। भगवान श्रीराम के पदचिह्रों का दर्शन कर खुद को धन्य महसूस करते हैं।

Rajkumar Raju: 5 years of news editing experience in VOB.